नए साल के स्वागत को तैयार नवादा, रमणीक स्थलों पर होगी ग्रैंड मस्ती
नवादा, हिन्दुस्तान संवाददाता। नए साल के स्वागत के लिए नवादा शहर के नागरिक पूरी तरह से तैयार है। विभिन्न रमणीक स्थलों पर सभी ग्रैंड मस्ती करने को उतावले हैं।

नवादा, हिन्दुस्तान संवाददाता। नए साल के स्वागत के लिए नवादा शहर के नागरिक पूरी तरह से तैयार है। विभिन्न रमणीक स्थलों पर सभी ग्रैंड मस्ती करने को उतावले हैं। शहर के विभिन्न पिकनिक स्पॉट पर शहरवासियों की भीड़ जुटेगी। शहर के कम से कम पांच ऐसे स्थल हैं, जहां बच्चे-बड़े, युवा, किशोर-किशोरियों और महिलाओं की रवानगी होगी जबकि पिकनिक मनाने के मूड में आ चुके लोगों की तैयारी पूरी तरह से परवान पर पहुंच चुकी है। किसी भी पिकनिक स्पॉट पर पहुंचने वाले साल के पहले दिन को खास यादगार बनाने के लिए अपने तरीके से नया अंदाज तय कर रहे हैं। कुछ लोग अपने परिचितों से मिलने के बहाने आदर्श सिटी परिसर का भ्रमण की तैयारी में हैं। हालांकि यहां पूर्व में कुछ विशेष इंतजाम रहते थे लेकिन अब ऐसा नहीं है। अनेक युवा लॉन्ग ड्राइव की योजना बना रहे हैं। कुछेक रेडीमेड फूड पैकेट और दोस्तों की टोली के साथ जिले के रमणीक स्थलों पर जाने का मन बना चुके हैं। संकटमोचन मंदिर में माथा टेक पिकनिक पर निकलेंगे नवादावासी नवादा। नए साल की शुरुआत पर नवादावासी शहर स्थित संकटमोचन मंदिर में माथा टेक पिकनिक पर निकलेंगे। सभी अहले सुबह मंदिर में जुटने लगते हैं और पूजा-पाठ करते हैं। भगवान का आशीष पाते हैं और फिर पिकनिक के लिए रवानगी करते हैं। यह पिकनिक स्पॉट तो नहीं पर किसी भी पिकनिक स्पॉट से ज्यादा यहां भीड़ उमड़ती है। लगभग 25 वर्षों से अधिक समय से चली आ रही परम्परा के अनुसार शहरवासी पहली जनवरी को संकटमोचन मंदिर पहुंच कर सबसे पहले हनुमान जी का दर्शन और पूजन करते हैं। यहां आने वाले श्रद्धालु मीठी बावली स्थित जगतनाथ बाबा भोले का भी दर्शन और पूजन कर लेते हैं। तिलक, त्रिपुंड और माला धारण कर लोग पूर्ण आध्यात्मिक भाव से भगवान को भोग लगाते हैं। इसके बाद सीधा घरों को लौट कर अपनी सहूलियत के अनुसार विभिन्न पिकनिक स्पॉट के लिए रवाना होते हैं। शहर स्थित जैन मंदिर परिसर, नारद संग्रहालय परिसर, शोभिया कृषि फॉर्म जबकि जिले के मछंदरा जलप्रपात समेत लोमस ऋषि पर्वत, श्रृंगि ऋषि पर्वत आदि प्रमुख स्थलों पर लोग पिकनिक मनाने जाते हैं। 1979 में वैशाख अक्षय तृतीया को संकटमोचन मंदिर की स्थापना हुई थी। उल्लेखनीय है कि 1931 से ही यहां स्थित मीठी बावली के गर्भगृह में भगवान शिव का मंदिर है। बाबा निरंकार दास जी महाराज की देखरेख में ऊपरी हिस्से में हनुमान जी की मूर्ति स्थापित की गयी थी। हनुमान जी की मूर्ति नाटी इमली बनारस से लायी गयी थी। किवंदति है कि यहीं भरत मिलाप हुआ था। 9 नवम्बर 2009 में बाबा का निधन होने के बाद से वर्तमान महंथ अर्जुन देव उदासीन और पुजारी नकुल देव यहां की व्यवस्था संभाल रहे हैं। लगभग पांच हजार लोगों के यहां पहुंचने का अनुमान है। बाबा जलाल के मजार से सटे होने के कारण इस मंदिर की ख्याति नवादा में साम्प्रदायिक सौहार्द्र के नजीर के तौर पर भी होती है। ---------------- शोभ मंदिर पर भी जुटती है भीड़ नवादा। संकटमोचन मंदिर के साथ ही शोभ मंदिर पर भी श्रद्धालुओं की पूजन के लिए खासी भीड़ जुटती है। सुकून के साथ सभी नए साल का स्वागत करते हैं। साल का पहला दिन शानदार बीते। अच्छी अनुभूति से वास्ता पड़े। मन को सुकून पहुंचे। कुछ ऐसी ही कामना लेकर लोग यहां पहुंचते हैं और भगवान से कामना करते हैं कि पूरा साल सुखद बीते। इन्हीं भावनाओं के तहत लगभग दो हजार लोग यहां दर्शन करने पहुंच जाते हैं। लोगों की धार्मिक भावनाओं में वृद्धि के आधार पर उम्मीद है कि इस बार ज्यादा लोग यहां पहुंचेंगे। ------------------------ गुणावां जी जैन मंदिर भी बनेगा यादगार पल का गवाह नवादा। शहर के गुणावां जी स्थित जैन मंदिर परिसर भी नववर्ष के स्वागत में जुटे लोगों के आनन्दोत्सव का गवाह बनेगा। लोग अपने जेहन में यादगार पल समेटने यहां भी पहुंचते हैं। हालांकि वर्तमान में यहां नए सिरे से मंदिर निर्माण संबंधी कार्य जारी हैं जबकि सौंदर्यीकरण का कार्य भी परवान पर है लेकिन आदतन लोग यहां नव वर्ष के पहले दिन निश्चित रूप से जुटेंगे। इसकी सारी तैयारियां जारी हैं। यहां का पुरसुकून पल लोग जी लेना चाहते हैं। यहां खाना बनाने और खाने वाली सुविधा तो नहीं लेकिन घूमने-फिरने के लिए बेहतरीन स्थलों में से एक जरूर है। ------------------------ शोभ कृषि फॉर्म : पिकनिक का असली आनन्द है यहां नवादा, हिन्दुस्तान संवाददाता। प्रकृति की सुरम्य वादियों में परिजनों संग आनन्दोत्सव मनाने का मन है तो नए साल पर पहुंच जाएं शोभ कृषि फॉर्म। यहां गाना-बजाना और खाना-खिलाना जम कर चलता है और साथ ही चलती है अपनी मर्जी। नवादा का सबसे पसंदीदा और सर्वाधिक लोगों के जुटने वाला पिकनिक स्पॉट शोभ कृषि फॉर्म प्राकृतिक सज-धज के साथ बिल्कुल तैयार है। शहर से महज दो किमी की दूरी पर स्थित कृषि फॉर्म में पिछले पचीस सालों से अधिक समय से पिकनिक मनाने का सिलसिला चलता आ रहा है। यहां जो एक बार आ जाता है फिर उसकी यादों में कृषि फॉर्म का नजारा स्मृतियों में कैद हो कर रह जाता है। लोग यहां बार-बार आना चाहते हैं। प्रकृति की सुरम्य वादियों में वनभोज का असली आनन्द लेने शहर के साथ ही आसपास के लोग यहां पहुंचते हैं। सुबह उगते और शाम को डूबते सूर्य का छिटकता प्रकाश जब यहां के तालाब और उसके बीच खिले कमल के फूल से अठखेलियां करता है तो हजारों कैमरे एक साथ फ्लैश करने को बेताब हो जाते हैं। मूल रूप से कृषि प्रयोजनों के लिए 1959 में शोभ कृषि फॉर्म की स्थापना हुई थी पर प्रकृति ने इस पर इतना सब कुछ न्योछावर किया है कि अनायास यह पिकनिक स्पॉट के रूप में स्थापित हो कर रह गया है। इसे निहारने के लिए सभी का मन मचल उठता है। लोग साल भर यहां पिकनिक मनाने आने की चाहत दिल में बसा कर रखते हैं और यही कसक उन्हें यहां खींच लाती है। 88 एकड़ में फैले इस फॉर्म में तीन हेक्टेयर में तालाब स्थित है। तालाब में कमल के फूल और ईद-गिर्द के लम्बे-ऊंचे पेड़ तथा तरह-तरह की झाड़ियां इसे सुरम्य स्वरूप देती हैं। इन्हीं के बीच मस्ती और यादगार पल बिताने लोग यहां पहुंचते हैं। 88 एकड़ में फैले शोभ कृषि फॉर्म में 03 हेक्टेयर में यहां का खूबसूरत तालाब फैला हुआ है। यहां 10 हजार से अधिक लोगों के आने की उम्मीद है। ----------------------- नारद संग्रहालय का लोग करेंगे ज्ञानदायी भ्रमण नवादा, हिन्दुस्तान संवाददाता। नारद संग्रहालय भारत के प्रमुख संग्रहालयों में से एक है। यहां का खूबसूरत परिसर लोगों को पिकनिक मनाने के लिए सहज ही खींच लाता है। यहां खाना बना कर खाने की व्यवस्था नहीं है लेकिन लोग आसपास लगे मेले का आनन्द उठाने से नहीं चूकते। शानदार सजावट और फिर यहां मिलने वाली ज्ञान पिपासा की शांति प्रबुद्ध लोगों को खूब भाती है। वर्ष 1973 ई. में नवादा के प्रथम जिला अधिकारी नरेन्द्र पाल सिंह के प्रयासों से यह संग्रहालय अस्तित्व में आया। सुबह से लेकर शाम पांच बजे तक यहां काफी भीड़ रहती है। लोग रेडीमेड स्नैक्स का भरपूर आनन्द लेते दिख जाते हैं। इसके अलावा गुणायाजी तीर्थ स्थान में भी लोग पिकनिक के लिए खुशी-खुशी आते रहे हैं और शांत सुरम्य वादियों में काफी सुकूनदायक माहौल पाते रहे हैं। लेकिन इस बार जल मंदिर को ध्वस्त कर नया निर्माण कराए जाने के कारण यहां सैलानियों के आवागमन पर रोक रहेगा। आध्यात्म और आनन्द के अनोखे संगम को आत्मसात करने आने वाले इस बार यहां की स्मृति अंकित नहीं कर पाएंगे।
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