शारदीय नवरात्रि : छठे दिन पूजी गईं माता कात्यायनी, हुआ विशेष पूजन
नवादा, हिन्दुस्तान संवाददाता। शारदीय नवरात्रि के छठे दिन माता कात्यायनी की पूजा-अर्चना की गई। घरों में पाठ पर बैठे माता भक्त जबकि पूजा पंडालों तथा मंदिरों में पूजा समिति के यजमान व सदस्यगण माता भगवती...

नवादा, हिन्दुस्तान संवाददाता। शारदीय नवरात्रि के छठे दिन माता कात्यायनी की पूजा-अर्चना की गई। घरों में पाठ पर बैठे माता भक्त जबकि पूजा पंडालों तथा मंदिरों में पूजा समिति के यजमान व सदस्यगण माता भगवती की पूजा-अर्चना में पूरी शुद्धता और तन्मयता से जुटे रहे। इस क्रम में श्रद्धा और विश्वास हर तरफ हिलोरे लेता दिखा। माता भक्तों के उत्साह से दुर्गा पूजनोत्सव में काफी रौनक छाई हुई है। शहर के न्यू एरिया, सद्भावना चौक, नरेन्द्र नगर पुलिस लाइन, स्टेशन रोड, इंदिरा चौक, अस्पताल रोड, तीन नंबर बस पड़ाव स्थित सभी प्रमुख पूजा पंडालों में निरंतर माता की उपासना जारी है।
श्रद्धालु संध्या आरती में बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं। शारदीय नवरात्रि का छठा दिन मां कात्यायनी को समर्पित रहा। माता इस रूप में भक्तों को शत्रुओं पर विजय प्राप्ति का वरदान देती हैं। इस मान्यता को लेकर माता भक्तों ने विधि-विधान से माता की आराधना की। देवी दुर्गा की छठी शक्ति मां कात्यायनी का जन्म महर्षि कात्यायन के घर हुआ था, इसलिए इनका नाम कात्यायनी पड़ा। शीघ्र विवाह, वैवाहिक जीवन में खुशहाली और दुश्मनों पर विजय पाने के लिए मां कात्यायनी की पूजा अचूक मानी जाती है। मां कात्यायनी पूरे ब्रजमंडल की अधिष्ठदात्री देवी हैं। इनके आशीर्वाद से भक्त को मनचाहा जीवनसाथी मिलता है। इसको लेकर कुंआरी युवतियों ने विशेष पूजा की। मां कात्यायनी की पूजा हुई शुभ मुहूर्त में वैदिक पंचांग के अनुसार, मां कात्यायनी की पूजा माता भक्तों ने शुभ मुहूर्त में की। शुभ मुहूर्त में पूजा करना कल्याणकारी मान कर माता भक्तों ने विशेष ध्यान रखा कि माता की उपासना उपयुक्त समय पर ही हो। शुभ मुहूर्त के अलावा मां दुर्गा के छठे स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा विधि-विधान से कर देवी मां के उपासकों ने सहजता, धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष, इन चारों पुरुषार्थों की प्राप्ति की कामना की। सुनहरे और चमकीले वर्ण व चार भुजाओं वाली और रत्नाभूषणों से अलंकृत मां कात्यायनी देवी खूंखार और झपट पड़ने वाली मुद्रा में रहने वाले सिंह पर सवार हैं, लेकिन अपने भक्तों के लिए अति कृपालु और दयालु हैं। इस भावना के तहत श्रद्धालुओं ने रविवार को माता का पूजन पूरे मनोयोग से किया। विधिपूर्वक की गई माता कात्यायनी की पूजा देवी कात्यायनी की पूजा करने के लिए सुबह स्नान के बाद भक्त लाल या पीले रंग का वस्त्र पहन कर मंदिर या पूजा की जगह को गंगाजल से शुद्ध कर आसन पर बैठे। फिर इसके बाद कुमकुम का तिलक लगाया। पूजा प्रारंभ करने से पहले मां को स्मरण कर और हाथ में फूल लेकर संकल्प लिया। इसके बाद वैदिक मंत्रों का जाप और प्रार्थना की। कमल का फूल मां को चढ़ाया गया, जो उन्हें बेहद प्रिय है। फिर उन्हें भोग के रूप में शहद और फल अर्पित कर पाठ करने के बाद आरती से पूजा संपन्न कर क्षमा प्रार्थना की गई। चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना। कात्यायनी शुभं दद्याद् देवी दानवघातिनी॥ इस मंत्र से मां कात्ययनी की पूजा करने के क्रम में माता भक्तों ने 108 माला जाप भी किया।
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