आधुनिक खेती का विकल्प अपना समृद्ध हो रहे जिले के किसान
नवादा में किसानों को मौसम के उतार-चढ़ाव के कारण खेती में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। पारंपरिक खेती से नुकसान के चलते किसान आधुनिक खेती की ओर बढ़ रहे हैं, जिसमें तकनीक और कृषि उपकरणों का उपयोग...

नवादा, हिन्दुस्तान संवाददाता। सामान्यत: मौसम का उतार-चढ़ाव चुनौतियों के रूप में हमेशा से किसानों के सामने बने रहने के कारण खेतीबारी अब कतई आसान नहीं रही। हर दिन एक नई चुनौती का सामना करने की नौबत किसानों के सामने आ रही है। बल्कि अब तो लगातार बदल रही भौगोलिक परिस्थितियों का खतरा झेलने की स्थिति भी आन पड़ी है। ऐसे में जिले के किसान खेती के तौर-तरीकों में बदलाव की ओर कदम बढ़ाने की बाध्यता आ गयी है। इसके लिए जिला कृषि विभाग का प्रोत्साहन विभिन्न सरकारी योजनाओं के जरिए किसानों को मिल भी रहा है। जो किसान परम्परागत खेती पर अब भी निर्भर हैं, उन्हें दिनोंदिन बढ़ते जा रहे नुकसान के कारण स्वत: ही आधुनिक खेती की शरण में आना पड़ रहा है। पारम्परिक खेती मुख्यतः श्रम आधारित है। जबकि आधुनिक खेती पूरी तरह से पूंजी प्रधान है। मोनोक्रॉपिंग और सटीक कृषि आधुनिक खेती के तहत अपनाई जाने वाली कुछ ऐसी तकनीकें हैं, जिस से किसानों का भला होने भी लगा है। आधुनिक खेती में तकनीक के साथ ही कृषि उपकरणों का सार्थक उपयोग हो रहा है, जो किसानों को आर्थिक रूप से समुन्नत भी बना रहे हैं। आधुनिक खेती के लिए कृषि विभाग द्वारा प्रोत्साहन के कारण इस दिशा में बेहतर कार्य होना आगत के लिए सुखद ही कहा जा सकता है। हालांकि हालिया दिनों में खेती की आधुनिक और पुरातन तौर-तरीकों में अब तक खींचतान जारी है। आधुनिक खेती पारम्परिक खेती से साबित हो रही बेहतर आधुनिक खेती पारम्परिक खेती से बेहतर साबित हो चुकी है। किसान इस ओर उद्दत हो चले हैं। जिला कृषि पदाधिकारी संतोष कुमार सुमन कहते हैं कि आधुनिक कृषि उन्नत तकनीक का उपयोग करती है। यह पारम्परिक कृषि की तुलना में कम श्रम गहन है और उपज की मात्रा बड़ी है क्योंकि इसमें उत्पादन को अधिकतम करने और लगातार गुणवत्ता बनाए रखने पर ध्यान दिया जाता है। उन्होंने कहा कि जिले में पारंपरिक विधि, आधुनिक विधि और मिश्रित विधि से खेती होती हैं। यहां के किसान मिश्रित विधि का उपयोग करते हैं। मिश्रित खेती वह है, जिसमें फसल उत्पादन को पशुधन के पालन के साथ जोड़ा जाता है। मिश्रित खेती से पूरे वर्ष काम मिलने की संभावना रहती है। आधुनिक खेती के तहत प्रयोज्य ड्रिप सिंचाई तथा स्प्रिंकलर सिंचाई आदि तकनीक बेहद कारगर साबित होने लगी है। वर्ष भर में आठ माह से अधिक गर्मी रहने के कारण खराब होने वाली फसलों के बचाव को लेकर पॉली हाउस और नेट शेड जैसी तकनीक भी खेती की समृद्धि देने वाली साबित हो रही है। सहायक निदेशक कृषि अभियंत्रण कहते हैं कि पराली निस्तारण हमेशा से परम्परागत खेती की बड़ी समस्या रही है लेकिन अब फसल अवशेष प्रबंधन से सम्बद्ध कृषि संयंत्रों ने इसे बेहद उपयोगी बना डाला है, जो जैविक खाद का विकल्प भी साबित हो रहे हैं। आधुनिक खेती के तरीकों के लिए कृषि मशीनरी, उर्वरक, प्रसंस्कृत बीज, कीटनाशक, पम्प सेट, डीजल आदि जैसे इनपुट की आवश्यकता होती है, जिनका लाभ विभिन्न सरकारी योजनाओं के तहत मिल भी रही हैं तो किसान नई कृषि पद्धति अपनाने में राहत पा रहे हैं। इस प्रकार, आधुनिक खेती ही अब स्वीकार्य हैं। आधुनिक कृषि से हैं अनेक लाभ, पर्यावरण की सुरक्षा भी है निहित आधुनिक कृषि के अनेक लाभ गिनाते हुए कृषि मौसम वैज्ञानिक रौशन कुमार ने बताया कि इसमें पर्यावरण की सुरक्षा भी निहित है। आधुनिक खेती में प्रकृति प्रदत्त संसाधनों का दोहन बेहद कम होने के कारण इसे अपनाना वर्तमान की जरूरत है। आधुनिक कृषि पद्धति में आधुनिक भंडारण विधियां हैं, जो खाद्यान्न की बर्बादी को कम करती हैं। फसल सुरक्षा आधुनिक खेती की एक महत्वपूर्ण विशेषता है। मानव की 50 प्रतिशत से अधिक आवश्यकताएं कृषि से पूरी होती हैं इसलिए कृषि को मानव के हितकारी बनाने की हर उस पहल को आत्मसात करना पड़ेगा, जो मानवों का भला कर सके। आधुनिक खेती से कम समय और कम श्रम में किसानों की आमदनी दो गुना से अधिक हो गयी है।
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