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कौआकोल के आठ पंचायतों में हाईस्कूल ही नहीं

कौआकोल प्रखण्ड की आठ पंचायतों में हाईस्कूल नहीं हैं। इसके चलते इन पंचायत के छात्र-छात्राओं को उच्च शिक्षा पाने के लिए भारी मशक्कत करनी पड़ रही है। चाह कर भी इन पंचायत के बच्चों को अभिभावक उच्च शिक्षा...

कौआकोल के आठ पंचायतों में हाईस्कूल ही नहीं
हिन्दुस्तान टीम,नवादाFri, 08 Jun 2018 02:13 PM
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कौआकोल प्रखण्ड की आठ पंचायतों में हाईस्कूल नहीं हैं। इसके चलते इन पंचायत के छात्र-छात्राओं को उच्च शिक्षा पाने के लिए भारी मशक्कत करनी पड़ रही है। चाह कर भी इन पंचायत के बच्चों को अभिभावक उच्च शिक्षा नहीं दिला पाते हैं।

प्रखण्ड की मंझिला, केवाली, नावाडीह, छवैल, पहाड़पुर, सेखोदेवरा, लालपुर एवं सरौनी पंचायतों में उच्च शिक्षा की व्यवस्था नहीं है। इन पंचायतों में सरकारी स्तर पर केवल आठवीं कक्षा तक ही बच्चों की पढ़ाई की व्यवस्था है। आठवीं पास करने के बाद समाज में आर्थिक रूप से मजबूत व जागरूक परिवार ही अपने बच्चों को दूरदराज के स्कूलों में आगे की पढ़ाई के लिए दाखिला करा पाते हैं। अन्य बच्चे आठवीं तक ही सीमित रह जाते हैं। खास कर लड़कियों को आगे की पढ़ाई के लिए सारे रास्ते बंद हो जाते हैं।

सरकार की घोषणा भी नहीं हुई पूरी

सरकार ने समाज के गरीब एवं कमजोर छात्र-छात्राओं को उच्च शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए प्रत्येक पंचायत में एक हाईस्कूल खोलने की घोषणा की थी। इसके लिए पंचायत के किसी मध्य विद्यालय, जिसके पास समुचित मात्रा में भूमि आदि उपलब्ध है, को अपग्रेड करने की योजना बनायी गयी, ताकि दूरदराज के छात्र-छात्राएं वहां आसानी से पहुंचकर उच्च शिक्षा हासिल कर सकें, लेकिन 15 पंचायत वाले कौआकोल प्रखण्ड की आधी पंचायतों में आज तक न तो उच्च विद्यालयों की स्थापना हो सकी है और न ही इन पंचायत की मध्य विद्यालयों को अपग्रेड ही किया गया। नतीजतन प्रखण्ड की आठ पंचायत के छात्र-छात्राएं उच्च शिक्षा पाने से पूरी तरह से वंचित रह जा रहे हैं।

ग्रामीणों ने साझा किया दर्द

छबैल पंचायत के खैरा गांव से करीब आठ किलोमीटर की दूरी पर एक मात्र ओखरिया इंटर स्कूल है, जहां जाकर पढ़ाई करना परेशानियों भर होता है। क्योंकि वहां तक पहुंचने के लिए बरसात के दिनों में नदी पार करने करना मजबूरी है। लोहसिंहानी निवासी मिश्री प्रसाद यादव ने कहा कि मंझिला पंचायत में हाईस्कूल नहीं होने के कारण गरीब परिवार अपने बच्चों को दूसरी जगह भेजकर पढ़ाने में सक्षम नहीं हो पाते हैं। सुरक्षा के दृष्टिकोण से खास कर लड़कियों को गांव से दूर भेजकर पढ़ाना अब आसान नहीं है। इसके कारण पंचायत के छात्र एवं छात्राएं उच्च शिक्षा पाने से पूरी तरह से वंचित रह जा रहे हैं। चाहकर भी हम अपने बच्चों को उच्च शिक्षा नहीं दे पा रहे हैं।

विद्यार्थियों ने सुनाई व्यथा

बिंदीचक निवासी छात्र मनीष कुमार ने बताया कि पंचायत में हाईस्कूल नहीं रहने के कारण हम उच्च शिक्षा पाने से वंचित रह जाते हैं। आर्थिक तंगी के कारण अभिभावक बाहर भेजकर पढ़ाने में असमर्थ हैं। नतीजन हम गांव में प्राथमिक शिक्षा हासिल करने के बाद आगे की पढ़ाई चाह कर भी नहीं कर पाते हैं। छात्रा रूपा कुमारी ने कहा कि पंचायत में हाईस्कूल नहीं रहने के कारण हम आठवीं तक की शिक्षा प्राप्त करने के बाद आगे की पढ़ाई नहीं कर पाते हैं। समाज में उत्पन्न हो चुके असमाजिक तत्व को लेकर अभिभावक लड़कियों को गांव से दूर भेजकर पढ़ाना नहीं चाहते। सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं होने से दूर दराज की स्कूलों में पढ़ाई करना मुश्किल है।

वर्जन

जिन पंचायतों में हाईस्कूल नहीं हैं, वहां के मिडिल स्कूलों को हाईस्कूल में अपग्रेड करने के लिए विभाग को रिपोर्ट भेजी जा चुकी है। कई जगहों पर जमीन उपलब्ध नहीं होने के कारण मामला विभाग में अटका हुआ है। कई पंचायतें जैसे दरावां तथा देवनगढ़ में हाईस्कूल के लिए भवन भी लगभग तैयार हो चुके हैं। - प्रमोद कुमार सिंह, प्रभारी बीईओ, कौआकोल।

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