ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News बिहार नवादाआलू की कीमत में आई भारी गिरावट, संकट में हैं किसान

आलू की कीमत में आई भारी गिरावट, संकट में हैं किसान

जिले में आलू की कीमत काफी तेजी से गिर रही है। 20 रुपये किलो की दर पर कुछ दिनों पूर्व तक बिक रहा आलू वर्तमान में एकदम से आधी दर पर पहुंच गया है। 10 रुपये प्रति किलो के भाव तक गिर कर पहुंच गए आलू के...

आलू की कीमत में आई भारी गिरावट, संकट में हैं किसान
हिन्दुस्तान टीम,नवादाTue, 31 Jan 2023 01:20 PM
ऐप पर पढ़ें

नवादा, नगर संवाददाता।

जिले में आलू की कीमत काफी तेजी से गिर रही है। 20 रुपये किलो की दर पर कुछ दिनों पूर्व तक बिक रहा आलू वर्तमान में एकदम से आधी दर पर पहुंच गया है। 10 रुपये प्रति किलो के भाव तक गिर कर पहुंच गए आलू के उत्पादक किसान इस स्थिति से बेहद परेशान हैं। लागत की तुलना में उनका मुनाफा घट जाने से आलू की खेती इस बार किसानों के लिए बहुत लाभप्रद साबित नहीं होने वाली लग रही है।

वर्तमान में हाल यह है कि कम से कम नुकसान को लेकर किसान कच्चा आलू की उखाड़ कर बाजारों तक पहुंचा रहे हैं ताकि वर्तमान में चल रहे 10 रुपये प्रति किलो का दर ही कम से कम मिल जाए अन्यथा यह और भी कम हो सकता है। आमतौर पर आलू उखड़ने के सीजन में आलू की कीमत पांच से छह रुपये प्रति किलो तक पहुंच जाने की आशंका रहती है। इस हाल का पूर्वानुमान कर किसान 90 दिनों में ही आलू उखाड़ ले रहे हैं जबकि 100-120 दिनों पर उखाड़ने पर आलू की और अधिक फसल हासिल हो सकती थी।

लागत अधिक और मुनाफा कम रहने की नौबत

सामान्यत: प्रति कट्ठा की बात की जाए तो डेढ़ से दो हजार की लागत खर्च पर कम से कम पांच हजार का मुनाफा किसानों को होने की संभावना रहती है, लेकिन रेट कम हो जाने के कारण किसानों को ले-दे कर ढाई से तीन हजार का ही लाभ हो पा रहा है। जाहिर है किसानों का मुनाफा एकदम से आधा हो कर रह गया है। हालांकि इस बार नवादा जिले में आलू की फसल का उत्पादन बेहतर है। सहायक निदेशक उद्यान सुधीर कुमार तिवारी ने बताया कि जिले में 900 एकड़ में आलू की खेती होती है, जबकि 25 टन प्रति हेक्टेयर आलू का औसत उत्पादन अमूमन रहता है और इस बार भी इतना उत्पादन होने का अनुमान है। ऐसे में उत्पादन के स्तर पर किसानों को कोई क्षति जैसी स्थिति नहीं है लेकिन आलू की कीमतों का घट जाना निश्चित रूप से उनके लिए निराशाजनक है।

कई प्रखंडों को अभी से ही मिल रही आठ रुपये की दर

किसान तत्परता बरतते हुए कच्चा आलू उखाड़ कर बेचने की फिराक में हैं तो कई थोक विक्रेता कच्चे आलू के नाम पर किसानों से सात से आठ रुपये प्रति किलो की दर पर आलू के उठाव के लिए दबाव बनाने लगे हैं। नरहट के आलू उत्पादक किसान प्रभात कुमार कहते हैं कि एक तो कीमत कम और ऊपर से थोक विक्रेताओं के अलग ही नखरे हैं। यूं तो जिले में किसानों ने आलू की खेती की शुरुआत स्वयं की खपत को लेकर की थी लेकिन इसका व्यवसायिक स्वरूप भी बाद में आजमाया गया, जो इस बार बहुत कारगर साबित होता नहीं दिख रहा है। अभी से ही सात से आठ रुपये प्रति किलो की दर मिल पाना बेहद निराशाजनक है। हिसुआ सिंघौली के आलू उत्पादक किसान मुसाफिर कुशवाहा और मनोज कुशवाहा तथा संजय यादव आदि कहते हैं कि जो किसान 120 दिनों के बाद आलू उखाड़ेंगे उनकी फसल ज्यादा परिपक्व हो जाने के कारण ज्यादा उत्पादन देगा और इसे कोल्ड स्टोरेज में रखने के बाद आलू के बाजार भाव बढ़ने पर बेचना अधिक फायदेमंद रह सकता है। बहरहाल, वर्तमान में तत्काल आलू बेचने की सोच रखने वाले किसानों को निराशा ही हाथ लग रही है। इधर, आलू के थोक विक्रेता नसीमउद्दीन कहते हैं कि सीजन के आरंभ में आलू बेच लेने वाले किसान अभी मजे में हैं। अभी जो किसान मंडी में आलू ला रहे हैं, वह अपनी पूंजी जल्द से जल्द निकाल लेने की फिराक में हैं। ये आलू कच्चे रहते हैं और इसका छिलका उतरता रहता है इसलिए कीमतों को लेकर खींचतान रहती ही रहती है।

यह हिन्दुस्तान अखबार की ऑटेमेटेड न्यूज फीड है, इसे लाइव हिन्दुस्तान की टीम ने संपादित नहीं किया है।
हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें