उदितमान सूर्यदेव को अर्घ्य समर्पित, छठ महापर्व सम्पन्न
चार दिवसीय रवि षष्ठी पूजनोत्सव छठ के अंतिम दिन उदितमान सूर्य को श्रद्धापूर्वक अर्घ्य देकर व्रतियों ने अपनी उत्कट आस्था दर्शायी। इस क्रम में सभी व्रतियों ने अपने शुभ्र वर्तमान और उज्जवल भविष्य की...

नवादा, नगर संवाददाता।
चार दिवसीय रवि षष्ठी पूजनोत्सव छठ के अंतिम दिन उदितमान सूर्य को श्रद्धापूर्वक अर्घ्य देकर व्रतियों ने अपनी उत्कट आस्था दर्शायी। इस क्रम में सभी व्रतियों ने अपने शुभ्र वर्तमान और उज्जवल भविष्य की कामना की। सभी रूनकी-झुनकी बेटी और पढ़ल-लिखल दामाद समेत संस्कारी पुत्र और सेवाभावी बहू के अलावा दीर्घायु सुहाग के साथ ही किलकारी करते नाती-पोतों की मनोकामना श्रद्धावनत हो कर की। अर्घ्य का अनुष्ठान पूर्ण होने के बाद 36 घंटे के निर्जला उपवास का समापन व्रतियों ने प्रसाद ग्रहण कर पारण के रूप में किया। इसके बाद परिजनों और ईष्ट-मित्रों के बीच प्रसाद का वितरण किया। कई व्रतियों ने छठघाट पर ही अपने बच्चों का मुंडन संस्कार कराया। इस परम्परा के बाद कई श्रद्धालुओं ने यहीं भोजन भी ग्रहण किया। व्रत के माहौल में सहेजने योग्य पलों को जीने के साथ सभी व्रतियों ने महाअनुष्ठान का समापन किया। पिछले चार दिनों से जिलेभर में छठ पर्व की काफी चहल-पहल रही
मिर्जापुर छठघाट पर पहुंचे सर्वाधिक लोग
शहर के मिर्जापुर स्थित सूर्यनारायण मंदिर छठघाट पर हजारों छठ व्रतियों ने उगते सूर्य को अर्घ्य दिया। बल्कि मिर्जापुर छठघाट पर ही सबसे अधिक व्रती और उनके परिजन पहुंचे। सोमवार के अर्घ्य के पूर्व रविवार की शाम छठ व्रतियों ने अस्ताचलगामी सूर्य को पहला अर्घ्य दिया। सोमवार की अहले सुबह शहर की गलियां छठ गीतों से गुलजार हो रही थी। स्टेशन रोड, माल गोदाम रोड सहित लगभग आधा दर्जन मोहल्लों में सात घोड़े पर सवार भगवान भास्कर की प्रतिमा स्थापित की गई थी। यहां भी पूजन का सिलसिला जारी रहा। शहर के सूर्यनारायण मंदिर और शोभपर स्थित छठघाट सहित गढ़पर, न्यू एरिया, गोनावां, मोती बिगहा, मंगर बिगहा, बुधौल, अकौना स्थित अयोध्याधाम आदि के अलावा नगर परिषद क्षेत्र में शामिल विभिन्न नए छठ घाटों पर छठ व्रतियों की भारी भीड़ उमड़ती रही। उल्लेखनीय है कि शहर में लगभग छह और पूरे नगर परिषद क्षेत्र में नए परिसीमन के अनुकूल 26 छठघाटों पर अर्घ्यदान हुआ। महिलाओं ने घुटने तक पानी में खड़े होकर पूजा-अर्चना की तथा सजे-धजे सूप में ठेकुआ और तमाम प्रसाद आदि को हाथ में लेकर सूर्यदेव को अर्घ्य दिया। पूजन के दौरान संपूर्ण वातावरण छठ मइया एवं सूर्यदेव के गीतों से गूंजता रहा। हर तरफ भक्ति की बयार चलती रही और श्रद्धालु इसमें रमे रहे। इस प्रकार तमाम आधुनिक विकृतियों के बढ़ते प्रभाव के बीच भी छठ पर्व की मूल आत्मा जिंदा दिखती रही।
घरों में भी व्रतियों ने दिया सूर्यदेव को श्रद्धापूरित अर्घ्य
कोरोना गाइडलाइन के पिछले दो सालों तक अतिरिक्त सावधानी बरतते हुए अर्घ्य देने की बन गयी आदत के अनुकूल कई व्रतियों ने इस बार भी छठघाट तक जाना मुनासिब नहीं समझा और अपनी पूर्व की व्यवस्था के अनुकूल घर अथवा घर की छतों पर ही अस्थायी कुंड बना कर सूर्यदेव को अर्घ्य दिया। ऐसे लोगों की भी बड़ी संख्या रही। शहर की हाउसिंग कॉलोनी आदर्श सिटी में रहवासियों ने बेहद भक्तिमय माहौल में अस्ताचलगामी और उदितमान सूर्य को अर्घ्य प्रदान किया। रात भर अर्घ्य कुंड रंगीन रोशनी से नहाया रहा, जबकि पूरे विधि-विधान से यहां छठ मैया का पूजन किया गया। मौके पर अर्घ्यस्थल को दुल्हन की तरह सजाया गया था। इस बीच, शहर से लेकर गांव तक वैकल्पिक रूप से अनेक छठव्रतियों ने अपने घरों की छतों अथवा आंगन में ही भगवान भास्कर को अर्घ्य प्रदान किया।
व्रतियों ने बेहद पवित्र मन से पूजा छठ मैया को
जिले के छठ व्रतियों ने छठ मैया की पूजा बहुत ही पवित्र मन और सात्विक तरीके से की। इस मान्यता के तहत हर छठव्रती ने अपनी तरफ से पौराणिक मान्यताओं को पूरा ख्याल रखा। ब्रह्मा की मानस पुत्री छठी मैया को चार दिनों तक चलने वाले अनुष्ठान के तहत विधिपूर्वक पूजा गया। रविवार को डूबते सूर्य को नमन कर अगली सुबह उनके उदित हो कर जग जीवन में प्रकाश की कामना के साथ व्रतियों ने उन्हें विदा किया और सोवार की अहले सुबह व्रतियों ने उगते सूर्य की आराधना कर उनसे अपने जीवन को प्रकाशमय बनाने की आराधना की। जो उगा है, वह डूबेगा की नकारात्मक भावना के उलट जो डूबा है वह फिर से निखर कर उग सकता है, जैसे सकारात्मक मनोभावों के साथ सभी व्रतियों ने अपने परिवर के उल्लासमय जीवन के साथ ही सकल समाज के लिए शुभकामना की।
सभी व्रती ने मांगा आरोग्य का वर
चार दिवसीय रवि षष्ठी महापर्व छठ के दौरान सभी व्रतियों ने अपने और अपनों के लिए आरोग्य का वर मांगा। मत्स्य पुराण के अनुसार भगवान भास्कर आरोग्य के आधिष्ठाता हैं। वे समस्त जीव प्रणियों के प्राणाधार और परोपकारी हैं। वह अपना अनुग्रह बिना किसी भेदभाव के सब पर समान रुप सें बरसाते हैं। इस मान्यता के तहत छठ मैया की शक्ति से अनेक रोगों से निजात की कामना सभी ने छठी मैया से की। सभी व्रतियों ने छठी मैया से निरोगी काया तथा अपने परिजनों के लिए आरोग्य का वर मांगा। आस्था की पराकाष्ठा के तहत भगवान सूर्य से लोगों ने कई मन्नतें मांगी। कहा जाता है कि वह इतने दयालु हैं कि अर्ध्य प्रदान करने और नमन मात्र से उपासकों को मनोवांछित फल मिल जाता है, इसलिए सभी ने मन की मांगी।
घर से घाट तक बने रहे सभी एक-दूसरे के सहभागी
छठ महापर्व पर प्राणियों के जीवन आधार सूर्य को नमन करने व छठ मैया के पूजन का संकल्प लेते ही जहां व्रती आध्यात्मिक दुनिया में चले गए वहीं उनके परिजन और अन्य श्रद्धालु भी सामाजिक सहभागिता निभाने में जुट कर अलौकिक सुख पाते दिखे। छठ के पहले अनुष्ठान नहाय-खाय के दिन से ही युवाओं की टोली गांव-मोहल्ले की उन सड़कों की सफाई में मशगूल रहे। जिनपर चलकर व्रती महिलाओं को घाट तक जाना था। इसी क्रम में पूरे रास्ते को रौशन किया गया, तो घाट पर जल की मुकम्मल व्यवस्था की गयी। कई स्वंयसेवी संस्थाओं ने व्रतियों की सेवा को लेकर संकल्प उठाया तो व्रतियों और उनके परिजनों की सेवा निरंतर जारी रही। पेयजल, चाय और कॉफी समेत फर्स्ट एड की सुविधा और खोया-पाया काउंटर की सेवा भी लगातार उपलब्ध करायी गयी।
