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प्रदूषण कंट्रोल में मुजफ्फरपुर फिसड्डी, सर्वे में मिला 34वां स्थान; धूल-मलबा और बालू ढुलाई हवा में घोल रहा जहर

प्रदूषण नियंत्रण के कार्यों की निगरानी को सर्वे चयनित नगर निकाय में एनकैप फंड से मिली राशि का इस्तेमाल प्रदूषण स्तर नियंत्रित करने और सुधारने पर खर्च की जाती है। इससे जुड़े कार्यों की निगरानी को सीपीसीबी हर साल सर्वे कर वार्षिक रिपोर्ट करता है।

Nishant Nandan हिन्दुस्तान, मुजफ्फरपुरSun, 8 Sep 2024 02:48 AM
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प्रदूषण नियंत्रण के पैमाने पर मुजफ्फरपुर नगर निगम का प्रदर्शन फिर निराशाजनक रहा। राष्ट्रीय स्तर पर तीन से 10 लाख के बीच की आबादी वाले शहरों में हुए स्वच्छ वायु सर्वेक्षण 2024 के परिणाम में 43 शहरों में मुजफ्फरपुर को 34वां स्थान मिला है। पहले नंबर पर फिरोजाबाद है और सूबे में गया को आठवीं रैंक मिली है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा संचालित स्वच्छ वायु सर्वेक्षण में शहरों को प्रदूषण नियंत्रण को लेकर उठाए गए कदमों के आधार पर रैंक मिलती है। इसमें वे शहरों शामिल हैं, जिन्हें केंद्र सरकार से ‘नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम’ के तहत विशेष राशि दी जा रही है। सर्वे को लेकर 2011 की जनगणना के आधार पर शहरों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है। एक श्रेणी में 10 लाख से अधिक आबादी वाले, दूसरी श्रेणी में 3 से 10 लाख आबादी और तीसरी श्रेणी में तीन लाख से कम आबादी वाले शहर शामिल किए गए हैं। हर श्रेणी की सर्वे रिपोर्ट अलग-अलग तैयार होती है।

प्रदूषण नियंत्रण के कार्यों की निगरानी को सर्वे चयनित नगर निकाय में एनकैप फंड से मिली राशि का इस्तेमाल प्रदूषण स्तर नियंत्रित करने और सुधारने पर खर्च की जाती है। इससे जुड़े कार्यों की निगरानी को सीपीसीबी हर साल सर्वे कर वार्षिक रिपोर्ट करता है। यदि कोई शहर पांच वर्षों तक लगातार पीएम 10 व एनओ 2 के लिए एनएएक्यूएस की शर्तों को पूरा नहीं करेगा तो उसे गैर-प्राप्ति घोषित कर दिया जाएगा।

मूल्यांकन के लिए आठ प्रमुख पहलू

सड़क के धूल, मलबा से उत्सर्जित धूल, वाहन उत्सर्जन, औद्योगिक उत्सर्जन, बायोमास का नियंत्रण, नगरपालिका ठोस अपशिष्ट दहन, पीएम 10 सांद्रता में सुधार व जन जागरण।

शहर में प्रदूषण का हाल

सड़क की धूल - सड़कों पर धूल उड़ती है। पानी छिड़काव के नाम पर खानापूर्ति होती है। स्प्रिंकलर व अन्य संसाधन का इस्तेमाल नहीं होता।

मलबा - निर्माण व विध्वंस अपशिष्ट से उत्सर्जित धूल पर नियंत्रण नहीं है। ग्रीन कवर के बिना अधिकतर खुले में निर्माण कार्य होते हैं।

वाहन उत्सर्जन - वाहनों में प्रदूषण चेकिंग के नाम पर बीच-बीच में पुलिस व परिवहन विभाग अभियान की औपचारिकता निभाती है।

कचरा निष्पादन - रौतनिया डंपिंग सेंटर पर ढाई लाख टन कूड़े का पहाड़ जमा और दो साल से निष्पादन का काम बंद पड़ा है।

बालू ढुलाई - खुले वाहनों से बालों की ढुलाई होती है। रोक लगाने के लिए पुलिस या प्रशासनिक स्तर पर प्रभावी कार्रवाई नहीं होने से समस्या है।

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