
'शरीर ही धर्म का साधन है, इसलिए आसन-प्राणायाम जरूरी'
संक्षेप: मुजफ्फरपुर के आर्यसमाज मंदिर में रविवार को साप्ताहिक अधिवेशन के तहत वैदिक यज्ञ और सत्संग का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में प्रो. व्यास नन्दन शास्त्री ने शारीरिक और आत्मिक उन्नति के लिए व्यायाम और...
मुजफ्फरपुर, हिन्दुस्तान प्रतिनिधि। घिरनी पोखर स्थित आर्यसमाज मंदिर मुजफ्फरपुर में रविवार को साप्ताहिक अधिवेशन के तहत वैदिक यज्ञ एवं सत्संग हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता मंदिर प्रधान विमल किशोर उप्पल ने किया। इस दौरान प्रो. व्यास नन्दन शास्त्री ने कहा कि शरीर ही धर्म का साधन है। इसलिए व्यायाम, आसन, प्राणायाम व शुद्ध सात्विक भोजन समय पर करना चाहिए। कहा कि शारीरिक उन्नति के साथ-साथ आत्मिक सुख के लिए सुबह और शाम सबको नित्य संध्या उपासना करना चाहिए। संध्या का प्रथम गायत्री मंत्र की विस्तृत व्याख्या की और कहा कि यह महामंत्र है। गायत्री मंत्र के उपासक को सद्बुद्धि, आयु, स्वास्थ्य, विद्या, पशु कीर्ति, धन, ऐश्वर्य व मोक्ष तक की प्राप्ति होती है।

आचार्य कमलेश दिव्यदर्शी ने कहा कि आर्य समाज बाल विवाह का विरोध करता है। महर्षि दयानन्द सरस्वती ने युवा नर-नारियों को ही विवाह की बात कही है। कार्यक्रम का संचालन मंत्री मनोज कुमार चौधरी ने किया। कार्यक्रम में कोषाध्यक्ष रमेश कुमार दानापुरी, पूर्व प्रधान नन्द किशोर ठाकुर, अरुण कुमार आर्य, संजीव रंजन, ओमप्रकाश गुप्ता, अनिल कुमार मेहता, सुकन्या आर्या आदि उपस्थित थे।

लेखक के बारे में
Hindustanलेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।




