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‘मां की अनदेखी, 35 फीसदी शिशु ही सही से कर रहे स्तनपान

नवजातों को जन्म के ठीक के एक घंटे के बाद स्तनपान कराने में जिले की स्थिति ठीक नहीं है। अभी भी शत प्रतिशत स्तनपान चुनौती बना हुआ है। स्तनपान को बढ़ावा देने के लिए केन्द्र सरकार के ‘मां (मदर्स ऐब्सलूट...

‘मां की अनदेखी, 35 फीसदी शिशु ही सही से कर रहे स्तनपान
हिन्दुस्तान टीम,मुजफ्फरपुरThu, 15 Nov 2018 02:34 PM
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नवजातों को जन्म के ठीक के एक घंटे के बाद स्तनपान कराने में जिले की स्थिति ठीक नहीं है। अभी भी शत प्रतिशत स्तनपान चुनौती बना हुआ है। स्तनपान को बढ़ावा देने के लिए केन्द्र सरकार के ‘मां (मदर्स ऐब्सलूट एफेक्शन) कार्यक्रम में काम नहीं हो रहा है। इस कार्यक्रम के शुरू हुए तकरीबन चार साल हो गए लेकिन इस पर काम नहीं हो रहा है। जिले के सरकारी व निजी अस्पतालों में हर वर्ष एक लाख 10 हजार प्रसव होते हैं। इसमें 35 फीसदी ही शिशु ही समय पर सही से स्तनपान कर रहे हैं। योजना को लेकर संचालित कर रही यूनिसेफ ने केन्द्र सरकार को रिपोर्ट सौंपी है। इसके आधार पर राज्य स्वास्थ्य समिति ने सीएस को जल्द पहल करने के लिए कहा है। सीएस डॉ. शिवचंद्र भगत ने सभी पीएचसी प्रभारियों को पहल करने के लिए कहा है। उन्होंने निजी अस्पतालों से इस बारे में रिपोर्ट लेने का फैसला लिया है। यूनिसेफ का कहना है कि मुजफ्फरपुर के सदर अस्पताल के ओपीडी भवन में स्तनपान कॉर्नर बनाया गया है। इसी तरह सभी पीएचसी में व्यवस्था करनी है। पीएचसी में इस पर बिल्कुल काम नहीं हो रहा है। सदर अस्पताल के स्तनपान कॉर्नर भी जागरूकता के अभाव में कारगर नहीं हो रहा है। जन्म के बाद शिशु के लिए एक घंटा ‘गोल्डन आवर का पालन नहीं हो रहा है। निजी में भी लापरवाही बरती जा रही है। इधर, डॉक्टरों के का कहना है कि सरकारी अस्पतालों मे प्रसव के बाद ज्यादा परेशानी नहीं है। ग्रामीण व शहर के निजी नर्सिंग होम में समस्या है।

शिशु का पहला टीकाकरण है स्तनपान

मुजफ्फरपुर आब्सटेट्रिक्स एंड गायनेकॉलिजिकल सोसायटी की प्रवक्ता डॉ. सुषमा आलोक ने बताया कि जन्म के तुरंत बाद मां का दूध नवजात के लिए सुरक्षा कवच है। एक तरह से कहें तो यह पहला टीकाकरण है। इससे बच्चों में कई तरह की बीमारियां नहीं होती हैं। जन्म से छह माह तक स्तनपान करने वाले 80 फीसदी से अधिक बच्चों में निमोनिया, डायरिया, एलर्जी, अस्थमा जैसी बीमारियां नहीं होती हैं।

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