तिरहुत प्रमंडल के शिक्षा विभाग में कार्यरत लिपिकों के ट्रांसफर पर रोक
डेढ़ साल पहले तिरहुत प्रमंडल के शिक्षा विभाग में कार्यरत लिपिकों के हुए ट्रांसफर को हाईकोर्ट के आदेश पर रद्द कर दिया गया है। वर्षों से एक जगह जमे इन लिपिकों का तबादला जून 2019 में किया गया था। इस...
डेढ़ साल पहले तिरहुत प्रमंडल के शिक्षा विभाग में कार्यरत लिपिकों के हुए ट्रांसफर को हाईकोर्ट के आदेश पर रद्द कर दिया गया है। वर्षों से एक जगह जमे इन लिपिकों का तबादला जून 2019 में किया गया था। इस तबादले के विरोध में लिपिकों ने नियमावली का पालन नहीं करने का मुद्दा उठाया था और विरोध में हाईकोर्ट गए थे।
हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई हुई। इसमें लिपिकों के वरीयता क्रम के निर्धारण और पद का मामला उठा। मामले में माध्यमिक शिक्षा निदेशक से जवाब मांगा गया। अब माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने ट्रांसफर रद्द करते हुए वर्ष 2019 की नियमावली के तहत पहले प्रमोशन देकर ट्रांसफर करने का निर्देश आरडीडीई को दिया है। एक दिन पूर्व आये इस निर्देश के बाद शनिवार को कार्यालय में सरगर्मी बढ़ी रही।
यह है मामला : वर्ष 2019 में हुए ट्रांसफर के विरोध में लिपिकों ने हाईकोर्ट में अपना पक्ष रखा कि 1974 नियमावली के बाद ट्रांसफर, प्रमोशन और नियुक्ति के लिए कोई नियम नहीं बनाया। वर्ष 2016 में बड़े पैमाने पर ट्रांसफर किया गया। इसके बाद हाईकोर्ट के आदेश पर 2019 लिपिक सेवाशर्त नियमावली बनी। लिपिकों ने कहा कि रोस्टर के अनुसार पद को चिह्नित नहीं किया गया है। ऐसे में किसी भी लिपिक को सेवा अवधि के आधार पर संवर्ग प्रोन्नति का लाभ नहीं मिलता है। बिना इस मामले का निराकरण किए ट्रांसफर सही नहीं है।
विधानसभा में मामला उठने पर हुआ था ट्रांसफर : आरडीडीई जीवेन्द्र झा ने शनिवार को बताया कि वर्षों से एक जगह पर जमे लिपिक का मामला विधानसभा में उठा था। इसके बाद माध्यमिक शिक्षा निदेशक के निर्देश पर प्रमंडलस्तरीय समिति ने ट्रांसफर किया। मुजफ्फरपुर समेत सभी जिलों से वरीयता सूची मांगी गई थी। इस ट्रांसफर में वरीयता का हनन नहीं किया गया। न प्रमोशन किया गया, न ही डिमोशन दिया गया। आरडीडीई ने कहा कि प्रमंडल में सभी जिले के शिक्षा विभाग के कार्यालयों में लिपिकों के 373 पद हैं। यहां से वरीयता सूची भेजी दी गई है। प्रमोशन निदेशक के स्तर से होना है।