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जिसको इतने डॉक्टर सुन रहे हों वह कोमा में जाएगा ही...

तबीयत काफी खराब थी। अब इतने डॉक्टर देख व सुन रहे हो तो मरीज कोमा में जाएगा ही...। अपनी लुगाई को लेकर सभी आते हैं, पर अपनी भड़ास हमसे निकलवाते हैं...। ऑफिस से घर जाओ तो उदास चेहरा बना लो, पत्नी समझेगी...

जिसको इतने डॉक्टर सुन रहे हों वह कोमा में जाएगा ही...
हिन्दुस्तान टीम,मुजफ्फरपुरMon, 08 Apr 2019 04:10 PM
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तबीयत काफी खराब थी। अब इतने डॉक्टर देख व सुन रहे हो तो मरीज कोमा में जाएगा ही...। अपनी लुगाई को लेकर सभी आते हैं, पर अपनी भड़ास हमसे निकलवाते हैं...। ऑफिस से घर जाओ तो उदास चेहरा बना लो, पत्नी समझेगी आज सब ठीक है। अगर हंसता हुआ चेहरा लेकर गए तो लुगाई को लगेगा कि किसी के साथ हंसी मजाक कर आए हैं...। पूरे देश में मैं पतियों का एकलौता संत हूं। मेरे कार्यक्रम में पत्नी के साथ सब जरूर आते हैं। पत्नी जब तक हंसती नहीं तब तक बेचारे पति हंसते नहीं..। देश के प्रख्यात कवि पद्मश्री सुरेन्द्र शर्मा ने रविवार को एसकेएमसीएच में गोल्डेन जुबली समारोह के अंतिम सत्र में डॉक्टरों को खूब हंसाया। उनको सुनने के लिए डॉक्टर दोपहर बाद तक जमे रहे। इस दौरान जमकर ठहाके भी लगे। सुरेंद्र शर्मा ने लोकसभा चुनाव पर भी व्यंग्य किए। उन्होंने कहा कि द्रौपदी को कोई फर्क नहीं पड़ता कि पांडव जीते है या कौरव। अगर कौरव जीत गया तो चीर हरण और पांडव जीते तो जुआ खेलने में द्रौपदी को हारेंगे। उन्होंने परिवार के महत्व, आज के समय में परिवारों के वर्तमान स्थितियों पर संदेश देकर सभी को एक रहने को कहा। कहा कि पहले एक कमरे में माता-पिता, बहन, दो भाइयों के रहने के बाद भी अतिथि का इंतजार किया जाता था और आज कोठी होने पर भी कोई नहीं चाहता कि उसके यहां कोई आए। पिता-पुत्र के रश्तिों को बांधते हुए कहा कि दोनों के हाथ दो बार ही मिलने चाहिए। एक जब बच्चा पिता के हाथ पकड़कर चले और दूसरा जब पिता बुजुर्ग हो जाए और बेटा उसका हाथ थामे। इस दौरान उनको सम्मानित भी किया गया। कार्यक्रम की सफलता के लिए डॉ. विजय कुमार भारद्वाज ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

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