स्कूल में शिक्षकों के बीच लड़ाई प्रभावित हो रही बच्चों की पढ़ाई
मुजफ्फरपुर के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के आपसी विवादों ने बच्चों की पढ़ाई को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। शिक्षकों के बीच लड़ाई की घटनाएं बढ़ रही हैं, जिसके कारण कई बच्चे बेहोश हो गए हैं और...
मुजफ्फरपुर। स्कूलों में पढ़ाई की जगह लड़ाई ने विकट स्थिति उत्पन्न कर दी है। बच्चों को अनुशासन का पाठ पढ़ाने वाले खुद आपस में लड़-झगड़ रहे हैं। जिले के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के आपसी विवाद ने अभिभावकों को चिंता में डाल दिया है। आए दिन अखाड़ा में तब्दील होते स्कूलों के वे शिक्षक भी इसको लेकर फिक्रमंद हैं, जो बेवजह इसमें पिस रहे हैं। जिले के दर्जनों स्कूलों से ऐसे मामले शिक्षा कार्यालय में पहुंच रहे हैं। शिक्षकों की लड़ाई से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। जिले के एक स्कूल में हंगामा देख कई बच्चे बेहोश हो गए, जिन्हें अस्पताल में भर्ती तक करना पड़ा।
विवाद की वजह मिड-डे मील में कमीशन, वर्चस्व और शिक्षकों के अलग-अलग संवर्ग की गुटबंदी बताई जा रही है। अभिभावकों की मांग है कि अधिकारी अविलंब इसपर कार्रवाई करें। क्योंकि, जिले के सरकारी स्कूलों में जो हालात बन गए हैं, उनसे न केवल शिक्षकों की साख पर सवाल उठ रहा है, बल्कि हमारे बच्चों का भविष्य दावं पर लग गया है। जिले के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों का आपसी विवाद बच्चों की पढ़ाई में बाधा बन रहा है। प्राइमरी-मिडिल से लेकर हाईस्कूलों में शिक्षकों के बीच आए दिन विवाद हो रहा है। कई स्कूलों में विवाद की वजह से थाना पुलिस तक पहुंची तो कहीं मारपीट देख बच्चे बेहोश तक हो गए। जिले में पिछले दो सप्ताह में आधा दर्जन से अधिक स्कूलों में शिक्षकों का आपसी विवाद शिक्षा कार्यालय से लेकर अधिकारियों तक पहुंच चुका है। इसे लेकर केवल अभिभावकों की ही नहीं, बल्कि उन शिक्षकों की भी पीड़ा सामने आई है, जो बेवजह इसमें पिस रहे हैं। इनकी पीड़ा है कि छोटे मनमुटाव पहले भी होते थे, मगर स्कूल तक एक दो-दिन तक ही सीमित रहते थे। आज स्थिति इतनी भयावह हो गई है कि विवाद हंगामे का रूप लेकर सड़कों पर आने लगे हैं। इसका सीधा असर बच्चों पर पड़ रहा है।
आपसी विवाद केवल शिक्षकों के बीच सीमित नहीं रहता, बल्कि यह कक्षा पर असर डाल रहा और स्कूल राजनीति का अड्डा बनता जा रहा है। आए दिन सरकारी स्कूल जंग के अखाड़े में तब्दील हो रहे हैं। पिछले दिनों जिले के सरकारी स्कूल से जुड़े शिक्षकों के विवाद के कई मामले सुर्खियों में छाए रहे। कहीं स्कूल के प्रधानाध्यापक और सहायक शिक्षक मिड-डे मील के मामले पर एक-दूसरे से भिड़ गए तो कहीं बच्चों के पोशाक के मामले को लेकर स्कूल में शिक्षकों के बीच हंगामा होता रहा। यही नहीं, कई स्कूलों में छुट्टी को लेकर पुलिस तक पहुंच गई तो कहीं हेडमास्टर पर गलत व्यवहार का आरोप लगाते हुए सभी शिक्षक डीईओ के पास कार्रवाई को लेकर पहुंच गए। इन हंगामों की वजह से पूरे स्कूल परिसर से लेकर शिक्षा कार्यालय में वर्तमान में हड़कंप मचा हुआ है। ग्रामीण क्षेत्र ही नहीं, शहर के भी स्कूलों में शिक्षकों का विवाद हंगामे में तब्दील हो रहा है। पिछले सप्ताह शहर के स्कूल बीबी कॉलेजिएट में प्रधानाचार्य और शिक्षकों के बीच का विवाद इतना तूल पकड़ लिया कि पुलिस शिक्षक को थाने ले गई। शिक्षक का आरोप है कि प्रधानाचार्य ने गाली-गलौज की तो प्रधानाचार्य का आरोप है कि शिक्षक बिना सूचना के स्कूल से गायब रहते हैं। स्कूल के सभी शिक्षक थाने में शाम तक जमे रहे। दो दिनों तक स्कूल में काली पट्टी बांध कार्य बहिष्कार होता रहा और शिक्षकों ने धरना-प्रदर्शन भी किया। अधिकारी शिक्षकों को मनाने में हलकान रहे। दो दिनों तक शिक्षा कार्यालय में हर ग्रुप पहुंचता रहा। बच्चों के अभिभावकों का कहना है कि यह एक दिन का मामला नहीं है। यहां आए दिन आपस में ही सब झगड़ते रहते हैं। इससे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है।
कुछ दिन पहले स्कूल गेट के पास एक अभिभावक के साथ मारपीट तक हो गई। आठ दिन पहले शिक्षकों के आपसी विवाद की एक घटना की चर्चा जिलेभर में होती रही। मीनापुर के हरका उत्क्रमित मध्य विद्यालय में शिक्षकों का विवाद हंगामे में बदल गया। इस हंगामे को देख कई बच्चे बेहोश हो गए, जिन्हें अस्पताल में भर्ती करना पड़ा। शिक्षकों का कहना है कि लड़ाई के पीछे की वजह कुछ बच्चों के पोशाक में नहीं आने पर एक शिक्षक का टोकना और दूसरे शिक्षक का उसका विरोध करना था। बात इतनी बढ़ गई कि इसको लेकर अब तक तनातनी चल रही है। पारू व साहेबगंज में पिछले एक महीने में शिक्षकों के आपसी विवाद को लेकर एक दर्जन से अधिक अलग-अलग आवेदन जिला कार्यालय में आ चुके हैं। आधा दर्जन मामलों में हेडमास्टर और शिक्षकों के बीच विवाद हैं। दोनों तरफ की टीम एक- दूसरे पर आरोप लगा रही है। हाल यह है कि कई में शिक्षिकाओं ने गलत व्यवहार तक का आरोप लगाया है। इसमें दो मामलों में शिक्षक को निलंबित भी किया जा चुका है। अभिभावकों ने कहा कि यह एक दिन की बात नहीं है। आए दिन स्कूल में शिक्षक आपस में लड़ते रहते हैं। इससे बच्चों पर गलत असर पड़ रहा है। स्थिति यह है कि बच्चे घर आकर कहते हैं कि हमें स्कूल नहीं जाना है। पूछने पर कहते हैं कि स्कूल में सभी सर-मैडम लड़ते रहते हैं। अलग-अलग टीम बनी हुई है। यही नहीं, बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है। स्कूल में शिक्षक बैठे रहते हैं और आपसी विवाद में कक्षा भी नहीं लेते हैं। अभिभावकों ने कहा कि आए दिन मध्याह्न भोजन को लेकर भी शिक्षक लड़ते रहते हैं। ये शिक्षक बच्चों को क्या अनुशासन का पाठ पढ़ाएंगे?
बोले जिम्मेदार :
हाल के दिनों में कई स्कूलों में शिक्षकों के विवाद के कारण व्यवस्था प्रभावित होने की सूचना मिली है। कुछ स्कूलों में जांच भी शुरू कर दी गई है। जांच रिपोर्ट के आलोक में कार्रवाई की जाएगी। अधिकतर में वर्चस्व का मामला सामने आ रहा है। कुछ स्कूलों में शिक्षकों की गुटबंदी की बात भी सामने आ रही है। यह कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। शिक्षकों का दायित्व स्कूलों को बेहतर ढंग से चलाना और बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना है। इसमें शिक्षकों के आपसी विवाद से अगर काम प्रभावित होता है तो दोषी शिक्षकों पर कारवाई करते हुए उनका स्कूल बदला जाएगा।
-कुमार अरविंद सिन्हा, डीईओ
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