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कर्ज से जल रहा चूल्हा, बुझ रही पेट की आग

सिर छुपाने को फूस की झेपड़ी। जिस दिन न कमाये तो पेट भरना मुश्किल पर इस कोरोना वायरस ने तो इन लोगों की जैसे कमर ही तोड़ दी है। लॉकडाउन के कारण पिछले 41 दिनों में एक भी दिन काम नहीं किया। ऐसे में जमा...

कर्ज से जल रहा चूल्हा, बुझ रही पेट की आग
हिन्दुस्तान टीम,मुजफ्फरपुरTue, 05 May 2020 01:27 AM
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सिर छुपाने को फूस की झेपड़ी। जिस दिन न कमाये तो पेट भरना मुश्किल पर इस कोरोना वायरस ने तो इन लोगों की जैसे कमर ही तोड़ दी है। लॉकडाउन के कारण पिछले 41 दिनों में एक भी दिन काम नहीं किया। ऐसे में जमा पूंजी खत्म हो जाने पर किसी तरह कर्ज लेकर इन लोगों के घर चल रहे हैं।

कन्हौली के दिनेश राम ने कहा कि अब पेट की आग को बुझाने के लिए कर्ज लेकर घर का चूल्हा जला रहे हैं। मजदूरी कर अपना और अपने घर वालों का पेट पालते हैं। लॉकडाउन में काम बंद है। ऐसे में जो हालत हो गया है वह बड़ा दुखदाई है। बच्चों की पढ़ाई तो छूट गई ही है, दो वक्त के खाने पर भी आफत है। कहा कि शुरुआत में जितने दिनों तक काम चला चलाया। कुछ मदद मिली तो कुछ दिन गुजरे। अब कोई उधार देने को भी तैयार नहीं है। सभी एक ही तरह की मजबूरी बता रहे हैं। अब तो कर्ज लेकर अपना घर चला रहे हैं। पता नहीं यह हाल कब तक रहेगा। कहा,अब यही दुआ करते हैं कि जल्दी इस संकट से उबरे और काम धंधा शुरू हो सके।

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