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मच्छर भगाने के एक क्वायल का धुआं सौ सिगरेट के बराबर- डॉ. विजय

प्रदूषण के मामले में शहर सभी रिकार्ड तोड़ रहा है। जिले में प्रदूषण के साथ स्मोक करने वालों की संख्या भी बढ़ रही है। ये दोनों ही जानलेवा बीमारी क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) के बड़े...

मच्छर भगाने के एक क्वायल का धुआं सौ सिगरेट के बराबर- डॉ. विजय
हिन्दुस्तान टीम,मुजफ्फरपुरSat, 24 Nov 2018 12:45 PM
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प्रदूषण के मामले में शहर सभी रिकार्ड तोड़ रहा है। जिले में प्रदूषण के साथ स्मोक करने वालों की संख्या भी बढ़ रही है। ये दोनों ही जानलेवा बीमारी क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) के बड़े कारण हैं। इसे काली दमा भी कहते हैं। हाल यह है कि शहर में इसके मरीजों की संख्या तीन गुना तक बढ़ गई है। ये बातें चेस्ट स्पेशिलस्ट व फिजिसियन डॉ. विजय कुमार ने विश्व सीओपीडी दिवस पर जूरन छपरा में आयोजित जांच शिविर के दौरान पत्रकारों को दी।

उन्होंने कहा कि सीओपीडी अब धूम्रपान नहीं करने वालों को भी अपना शिकार बना रही है। बीमारी का प्रमुख कारण कोयले, लकड़ी के धुएं के साथ दिन व दिन फैल रहा प्रदूषण भी है। महिलाएं इस रोग का ज्यादा शिकार हो रही हैं। एक साल पहले तक रोजाना जहां सीओपीडी के 10 केस आते थे। वहीं, अब 30-35 केस आने लगे हैं। इसके मुख्य कारणों में शहर में प्रदूषण का बढ़ा स्तर भी है। उन्होंने कहा कि मच्छर भगाने वाले एक क्वायल का धुआं एक सौ सिगरेट के बराबर होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की माने तो वर्ष 2030 तक विश्व में होने वाली मौतों का यह तीसरा सबसे बड़ा कारण होगा। इस दौरान 25 मरीजों के फेफड़े की स्पाइरोमीटर से नि:शुल्क जांच की गयी। इसमें एक दवा कंपनी के अविनाश कुमार ने सहयोग दिया।

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