आइए जानें, कैसे और कहां सीतामढ़ी में प्रकट हुईं मां सीता
मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की जन्मस्थली अयोध्या श्रीराम मंदिर बनाने को लेकर बराबर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में रहती है लेकिन उनको मर्यादा पुरुषोत्तम बनाने में अपना सर्वस्व न्योछावर...
मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की जन्मस्थली अयोध्या श्रीराम मंदिर बनाने को लेकर बराबर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में रहती है लेकिन उनको मर्यादा पुरुषोत्तम बनाने में अपना सर्वस्व न्योछावर करनेवाली उनकी अनुगामिनी माता सीता की प्राकट्यस्थली ‘सीतामढ़ी’ को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महत्व नहीं मिल पाया है। आइए, हम जानें वैशाख नवमी (4 मई) के दिन मां जानकी सीतामढ़ी की धरती पर कैसे प्रकट हुईं थीं। आज भी यहां के लोग इस धरती पर मां सीता के जन्मदिन पर सप्ताहभर का कार्यक्रम आयोजित करते हैं। यहां देश-विदेश से संतों का भी आगमन होता है। जिला प्रशासन की ओर से भी यहां सीतामढ़ी महोत्सव आयोजित होता है।
सीतामही का अपभ्रंश है सीतामढ़ी
मुजफ्फरपुर-रक्सौल रेलखंड पर स्थित सीतामढ़ी का नाम सीता के यहां प्रकट होने के कारण ही पड़ा। इसको पहले सीतामही अर्थात सीता की धरती कहा जाता था। लेकिन, बाद में अपभ्रंश होकर यही सीतामढ़ी हो गया।
धरती से प्रकट हुईं थीं सीता
यहां राजा जनक का शासन था। रामायण और पुराणों में वर्णित कहानियों के अनुसार, अनावृष्टि के कारण यहां अकाल की स्थिति पैदा हो गई तो महर्षियों और साधुओं ने यज्ञ का आयोजन किया। यज्ञ भूमि के लिए सोने का हल चलाने के लिए राजा जनक सीतामढ़ी के हलेश्वर स्थान से चले तो एक घड़े से हल का अग्र भाग सटा और उसी से सीता प्रकट हुईं। उनके प्रकट होने पर चूंकि हल के अग्र भाग के स्पर्श से वे प्रकट हुईं तो इसीलिए उसको सीता कहा गया।
जनकपुर नेपाल के महल में हुआ लालन-पालन
इसतरह मां सीता प्रकट हुईं, इसके बाद उनका लालन पालन नेपाल के जनकपुर धाम स्थित राजा जनक के महल में हुआ। वहां जनकपुर में भी भव्य विशाल मंदिर है, जहां मां जनकी के जन्म के अवसर पर भारतवर्ष से बड़ी संख्या में साधु-महात्मा जाकर मां जानकी की पूजा अर्चना करते हैं।
जानकी स्थान और पुनौरा में भव्य मंदिर
यहां सीतामढ़ी में भी दो जगहों पर एक जानकीस्थान और दूसरा पुनौरा में मां जानकी और श्रीराम का भव्य मंदिर है। यहां के उर्विजा कुंड और सीता कुंड की पूजा भी होती है।
जन्म पर बधाई दे रहीं महिलाएं
इन जगहों पर मां जानकी के जन्म को लेकर इनदिनों बधाई और मंगलगीत दिनभर महिला श्रद्धालु गाती हैं। इस अवसर पर भव्य झाकियां भी प्रदर्शित की गई हैं। जिसमें राजा जनक के हल चलाने के दौरान मां के प्रकट होने, मां की गोद में सीता के खेलने, बधाई गाती महिलाओं को दर्शाया गया है। इसको देखने के लिए भारतवर्ष के कोने-कोने से श्रद्धालु आए हैं। भक्तों और संतों की टोली जनकपुर धाम नेपाल से लेकर सीतामढ़ी तक जुट चुकी है। सभी जगह मां जानकी का गुणगान हो रहा है।