सांसों में जहर घोल रही सड़क किनारे जमी धूल
मुजफ्फरपुर में प्रदूषण की समस्या गंभीर हो गई है, जिससे लोग परेशान हैं। ठंड के मौसम में वायु गुणवत्ता सूचकांक 500 तक पहुंच जाता है, खासकर शास्त्रीनगर में। विशेषज्ञों का कहना है कि सड़क किनारे की धूल,...
मुजफ्फरपुर, वसं। घरों की खिड़कियों से जब हवाओं को अंदर आने की मनाही हो तो समझ सकते हैं कि उस शहर की हवा कितनी दमघोंटू होगी। सांसों में घुल रही धूल और धुएं के कारण बढ़ती बीमारियों ने लोगों की चिंता बढ़ा दी है। जिले में शहर से लेकर गांव तक प्रदूषण की समस्या गंभीर है। जाड़े में तो शहर के कई इलाके हफ्तों डेंजर जोन में रहते हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के रिकॉर्ड के मुताबिक ठंड के मौसम में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) अपने अधिकतम स्तर 500 पर पहुंच जाता है। यह स्थिति कई दिनों तक लगातार बनी रहती है।
खासकर शास्त्रीनगर इलाके में अधिक समस्या होती है। इसके अलावा कलेक्ट्रेट और एमआईटी/दाउदपुर कोठी इलाके में भी अक्सर एक्यूआई का मीटर डेंजर जोन में 300 से ऊपर चला जाता है। विशेषज्ञों के मुताबिक भौगोलिक व मौसम से जुड़े तकनीकी कारणों से प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच जाता है। ठंड में कुहासा होने के कारण हवा में मौजूद धूलकण तेजी से वायुमंडल के ऊपर नहीं जा पाते हैं। ऐसे में कई दिनों तक प्रदूषण डेंजर जोन में रहता है। एमआईटी के प्रो. आशीष कुमार ने बताया कि कुछ समय पहले प्रदूषण को लेकर की गई स्टडी में सड़क किनारे की धूल को अहम वजह पाया गया था। विशेषज्ञों के मुताबिक वाहन व जेनरेटर का धुआं, कोयले का उपयोग, कचरा जलाने, बिना पानी छिड़काव के सड़कों की सफाई आदि प्रदूषण बढ़ाने के अहम कारण हैं। अखिलेश पांडेय ने कहा कि सड़कों पर धूल और धुआं के बीच आवाजाही खतरे से खाली नहीं है।
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