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तांबे के अपशिष्ट से बनेंगी बिहार की ग्रामीण सड़कें

बिहार के ग्रामीण इलाके में सड़क बनाने के लिए नये प्रयोग की तैयारी है। तांबा (कॉपर) बनने के बाद निकलने वाले इन ऑर्गेनिक वेस्ट (अपशिष्ट) का इस्तेमाल...

तांबे के अपशिष्ट से बनेंगी बिहार की ग्रामीण सड़कें
हिन्दुस्तान टीम,मुजफ्फरपुरFri, 30 Sep 2022 01:21 AM
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मुजफ्फरपुर, वरीय संवाददाता/मृत्युंजय।

बिहार के ग्रामीण इलाके में सड़क बनाने के लिए नये प्रयोग की तैयारी है। तांबा (कॉपर) बनने के बाद निकलने वाले इन ऑर्गेनिक वेस्ट (अपशिष्ट) का इस्तेमाल सड़क बनाने में किया जा सकता है। गुजरात के भरूच जिले में इस तकनीक से सड़कें बन रही हैं। भरूच में इस्तेमाल हो रही इस तकनीक का अध्ययन करने मुजफ्फरपुर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) की टीम वहां गई हुई है। इस टीम में एमआईटी के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर आशीष कुमार और ग्रामीण विकास विभाग के एक इंजीनियर शामिल हैं।

टीम भरूच के गांवों में जाकर देख रही है कि इस तकनीक से बनी सड़कें कितनी टिकाऊ हैं और बिहार में इसकी क्या संभावनाएं हैं। टीम अध्ययन करने के बाद पहले विभाग को और फिर सरकार को इसकी रिपोर्ट सौंपेंगी। टीम दो से तीन दिन में अध्ययन कर मुजफ्फरपुर वापस लौटेगी। प्रो. आशीष कुमार ने बताया कि खनिज के इस वेस्ट का इस्तेमाल सड़क की निचली सतह को बनाने में किया जाएगा। इससे सड़क मजबूत होगी। अलकतरा की सड़क के मुकाबले इस तकनीक से सड़क बनाने में पांच प्रतिशत की कम लागत आएगी। प्रकृति को ठीक रखने में भी फायदेमंद साबित होगा। उन्होंने बताया कि इस तकनीक से बनी सड़क लंबे समय तक चलती है और बाढ़ व बरसात में जल्दी खराब भी नहीं होती है। उन्होंने बताया कि जहां खनिज उपलब्ध नहीं हो, वहां फ्लाई एश का भी इस्तेमाल इस तकनीक में किया जा सकता है। दोनों की गुणवत्ता समान रहेगी।

एमआईटी में होता है सड़कों का अध्ययन

एमआईटी के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के अध्ययक्ष प्रो. सीवी राय ने बताया कि टीम गुजरात में ग्रामीण सड़क का अध्ययन करने गई है। एमआईटी के सिविल इंजीनियरिंग विभाग में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत बनने वाली सड़कों की जांच की जाती है। इसकी एक यूनिट भी सिविल इंजीनियरिंग विभाग में है। इसे स्टेट टेक्निकल एजेंसी कहा जाता है। उन्होंने बताया कि एमआईटी के सिविल इंजीनियरिंग विभाग की जांच और अनुमोदन बाद ही ग्रामीण सड़कें बनती हैं। उन्होंने बताया कि भरूच मॉडल पर पूरे बिहार में सड़कें बनाई जा सकती हैं।

बाढ़ में खराब होने वाली सड़कों का हो चुका है अध्ययन

एमआईटी ने इससे पहले बाढ़ में खराब होने वाली सड़कों का भी अध्ययन किया है। इसके लिए एमआईटी की टीम दरभंगा गई थी। सिविल इंजीनियरिंग विभाग के अध्यक्ष प्रो. सीवी राय ने बताया कि एमआईटी की टीम किसी भी सड़क की डिजाइन की जांच करती है। गुजरात गई टीम भी वहां की सड़कों के डिजाइन को देख रही है। वह पता करेगी कि उस डिजाइन की सड़क किस तरह से बिहार में बनाई जाए, क्योंकि दोनों राज्यों की मिट्टी अलग-अलग है।

झारखंड में निकलता है तांबा

बिहार के पड़ोसी राज्य झारखंड में तांबा निकलता है। इस अध्ययन के बाद झारंखड से तांबा का वेस्ट मंगाने की राय भी दी जा सकती है। प्रो. आशीष कुमार ने बताया कि संयंत्रों में प्रतिदिन 160 टन तांबा का इन ऑर्गेनिक वेस्ट निकलता है। इससे सड़क बनाने में काफी सामग्री मिलने की उम्मीद है।

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