मोहर्रम पर हर तरफ गूंजा या हुसैन का नारा, निकला ताजिया जुलूस
कर्बला की जंग व उसमें शहीद हुए इमाम हुसैन व उनके 72 साथियों की याद में शुक्रवार को शिया समुदाय के लोगों ने मातमी जुलूस निकाला। मोहर्रम पर निकले इस जुलूस में बड़ों के अलावा छोटे बच्चें भी सीना पीट...
कर्बला की जंग व उसमें शहीद हुए इमाम हुसैन व उनके 72 साथियों की याद में शुक्रवार को शिया समुदाय के लोगों ने मातमी जुलूस निकाला। मोहर्रम पर निकले इस जुलूस में बड़ों के अलावा छोटे बच्चें भी सीना पीट रहे थे। या हुसैन की नारें से पूरा शहर गूंजता रहा। वहीं विभिन्न जगहों से ताजिया जुलूस भी निकाला गया।
जो गली, चौक-चौराहें व सड़कों पर रुककर कर इमाम हुसैन की शहादत की कहानी बयां कर रहे थे। इसके साथ तलवार व लाठियों से करतब भी दिखा रहे थे। कमरा मोहल्ला से सुबह में शिया मुसलमानों ने मातमी जुलूस निकाला। सभी काले कपड़े पहने हुए थे। वहीं जगह-जगह मौलाना तकरीर करते चल रहे थे। मौलाना काजीम सबीब ने तकरीर करते हुए कहा कि करीब 1400 वर्ष पहले इराक में यजीद नाम का जालिम बादशाह इंसानियत का दुश्मन था। यजीद खुद को खलीफा मानता था। वह जनता पर हद से ज्यादा जुल्म किया करता था। वह चाहता था कि हजरत इमाम हुसैन उसके खेमे में शामिल हो जाएं। लेकिन हुसैन को यह मंजूर नहीं था। उन्होंने अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाई। यजीद ने तीन दिनों से भूखे-प्यासे इमाम हुसैन व उनके साथियों को कर्बला में शहीद कर दिया। हुसैन के छह माह के बेटे अली असगर का भी कत्ल कर दिया। घर की औरतें व बड़े बेटे इमाम सज्जाद को गिरफ्तार कर लिया गया।