सरकारी मुआवजे की आस पर टिकी खरीफ फसल की तैयारी
उत्तर बिहार में रबी फसल पर प्राकृतिक आपदाओं ने पिछले दो महीने में भारी तबाही मचाया है। गेहूं समेत सभी फसलों पर चार बार आफत के ओले बरसे है। इससे किसानों को काफी नुकसान पहुंचा है। छोटे व मध्यम किसानों...
उत्तर बिहार में रबी फसल पर प्राकृतिक आपदाओं ने पिछले दो महीने में भारी तबाही मचाया है। गेहूं समेत सभी फसलों पर चार बार आफत के ओले बरसे है। इससे किसानों को काफी नुकसान पहुंचा है। छोटे व मध्यम किसानों की हालत यह हो गई है कि वह बचे गेहूं को बेचकरखरीफ फसल की तैयारी में नहीं जुट सकते है। किसानों को लॉकडाउन के समय में फसल की लागत मूल्य निकाल पाना मुश्किल हो गया है।
अब किसान सरकार की ओर आस भरी निगाहों से टकटकी लगाए देख रहे हैं कि उन्हें फसल क्षति के एवज में मुआवजा मिल जाए ताकी वह खरीफ फसलों की तैयारी में जुट सके। लेकिन कृषि विभाग की सत्यापन की धीमी चाल से किसान हताश हो गए। किसान फरवरी से अब तक बारिश-ओलावृष्टि से चार बार फसलों की तबाही झेल चुके है। 25 फरवरी, 4-5 मार्च, 13-15 मार्च व 15 मार्च को उत्तर बिहार में जमकर आंधी-बारिश व ओलावृष्टि हुई। इसमें गेहूं की फसल को भारी नुकसान पहुंचा था।
सत्यापन में तेजी लाने के आदेश का नहीं हो रहा असर
कृषि विभाग के सचिव ने हाल में ही सभी डीएम को आदेश दिया था कि वह अपने दिशानिर्देश पर तेजी से फसल क्षति इनपुट सत्यापन करा कर राज्य स्तर पर भुगतान के लिए आवेदन को फॉरवार्ड करे। लेकिन इन आदेशों से सत्यापन के कार्यों में तेजी नहीं आ रही है।
किसानों के खाते में पैसे आने तक खरीफ में हो जाएगी देरी
किसानों के अनुसार छोटे किसानों की फसल बर्बाद हो गई अब उनके पास इतना पैसा नहीं बचा है जिससे वह खरीफ फसल की तैयारी में जुट सकेंगे। किसानों का कहना है कि उन्हें कृषि विभाग की ओर से कहा जा रहा है कि लॉकडाउन की वजह से सत्यापन के कार्यों में देरी हो रही है। किसानों की मांग है कि जल्द उन्हें फसल क्षति के मुआवजे की राशि मिले ताकी वह खरीफ फसल की तैयारी में समय से जुट सकें।