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जिले में एनीमिया से हो रही गर्भवती व प्रसूता की मौत

जिले में अधिकतर गर्भवती महिलाएं एनीमिया की चपेट में हैं। हर माह चार सौ के आसपास गर्भवती के साथ सामान्य महिलाएं इसकी चपेट में आ रही हैं। अब एनीमिया से मौत भी होने लगी है। चालू वित्तीय वर्ष के पिछले छह...

जिले में एनीमिया से हो रही गर्भवती व प्रसूता की मौत
हिन्दुस्तान टीम,मुजफ्फरपुरSun, 22 Oct 2017 01:17 AM
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जिले में अधिकतर गर्भवती महिलाएं एनीमिया की चपेट में हैं। हर माह चार सौ के आसपास गर्भवती के साथ सामान्य महिलाएं इसकी चपेट में आ रही हैं। अब एनीमिया से मौत भी होने लगी है। चालू वित्तीय वर्ष के पिछले छह माह में 57 महिलाएं प्रसव के दौरान जान गंवा चुकी हैं। वहीं, वित्तीय वर्ष 2016-17 में 149 महिलाओं की इससे जान गई थी।

केन्द्र की कड़ी आपत्ति पर मैटरनल डेथ रिव्यू की भेजी गई रिपोर्ट में यह बात सामने आई है। हालांकि, अभी भी जिले में एसकेएमसीएच को छोड़ किसी भी पीएचसी व सदर अस्पताल से पिछले व इस साल हुई गर्भवती व प्रसूता की मौत की समीक्ष नहीं हो सकी है। एसकेएमसीएच में छह माह में 19 मौत की ही समीक्षा हो सकी है। शेष जो मौत हुई है उसका कारण पता नहीं चल सका है। रिपोर्ट के अनुसार प्रसव के दौरान सबसे अधिक मौत कटरा, सरैया, सकरा, मुरौल में हुई है। विशेषज्ञों का कहना है कि अज्ञात मौत की संख्या वर्तमान संख्या से दोगुनी है।

इसको लेकर सीएस डॉ. ललिता सिंह ने सभी पीएचसी प्रभारियों को जल्द मौत की समीक्षा कर रिपोर्ट देने को कहा है। साथ ही पीएचसी स्तर से आयरन की गोलियों की खरीदारी करने का आदेश दिया है। प्रसव पूर्व देखभाल व प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान को और भी बेहतर करने आदेश जारी किया है।

109 मौतों की हुई समीक्षा::

कुछ एजेंसियों से कराई गई जांच में वित्तीय वर्ष 2016-17 में 149 गर्भवती व प्रसूता की मृत्यु हुई है। इसमें 109 मौतों की समीक्षा की गई। रिपोर्ट के अनुसार मरने वाली ज्यादातर महिलाएं एनीमिया की चपेट में थीं। गर्भवती का बीपी हाई व लो और हार्ट अचानक फेल होना (इक्लैम्पेसिया) जैसी समस्या कॉमन पाई गईं।

खानपान पर नहीं दिया जा रहा ध्यान::

स्त्रीरोग विशेषज्ञ डॉ. सुषमा आलोक ने बताया कि गर्भवतियों में एनीमिया की समस्या बढ़ रही है। सौ में 60 गर्भवती एनीमिया की चपेट में है। इसका मुख्य कारण यह है कि गर्भधारण के बाद पोषक आहार नहीं मिलना है। ज्यादातर गरीब व अनपढ़ तबके की महिलाएं इसकी चपेट में आ रही हैं। इसके लिए हर स्तर से जागरूकता अभियान चलाने की आवश्यकता है। साग सब्जी खाने से भी गर्भवतियों को यह समस्या नहीं होगी।

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