भाषा और भाव दोनों से समृद्ध थे कवि राकेश
कविवर राम इकबाल सिंह राकेश ने किसी महाकाव्य का सृजन तो नहीं किया, लेकिन उनकी कई लंबी कविताएं महाकाव्यात्मक औदात्य से भरी हुई हैं। गांव, प्रकृति,...
मुजफ्फरपुर, वरीय संवाददाता
कविवर राम इकबाल सिंह राकेश ने किसी महाकाव्य का सृजन तो नहीं किया, लेकिन उनकी कई लंबी कविताएं महाकाव्यात्मक औदात्य से भरी हुई हैं। गांव, प्रकृति, जीवन, अध्यात्म, मूल्य और विराट मनुष्य उनकी रचनाओं के केंद्र हैं। वे भाषा और भाव दोनों से समृद्ध थे। ये बातें कवि व गीतकार राम इकबाल सिंह राकेश की जयंती के मौके पर कवि डॉ. संजय पंकज ने कहीं।
इसका आयोजन महाकवि राम इकबाल सिंह राकेश स्मृति समिति, मिशन भारती रिसर्च इंफॉर्मेशन सेंटर, बिहार गुरु व संस्कृति संगम की ओर से आमगोला स्थित शुभानंदी-परिसर में किया गया। कवि गीतकार डॉ. विजय शंकर मिश्र ने कहा कि उत्तर बिहार के प्रतिभावान कवि के रूप में महाकवि राम इकबाल सिंह राकेश को जाना जाता है। उनकी कृतियों में मनुष्यता की गंध, संगीत, आत्मकथा, आत्मीयता, जीवन बोध आदि बहुत सारे महत्वपूर्ण तत्व मौजूद हैं। समाजसेवी मुकेश त्रिपाठी ने कहा कि हमें अभिमान है अपने मुजफ्फरपुर के ऐसे श्रेष्ठ रचनाकार पर। मिशन भारती के अध्यक्ष अविनाश तिरंगा ने कहा कि साहित्य अच्छे काम के लिए प्रेरित करता है और हमें मूल्य की रक्षा के लिए आधार देता है। शिक्षाविद मधुमंगल ठाकुर ने कहा कि राकेश जी के कारण हमारा जनपद संपूर्ण हिंदी जगत में सम्मान पाता है। दूसरे सत्र में काव्य पाठ करते हुए कवि विजय शंकर मिश्र ने ‘मुक्त जो कर दे कथन वे और होते हैं सुना कर वातावरण को उल्लासमय कर दिया। संजय पंकज ने -‘होठों पर मुस्कान मनोहर होठों पर मुस्कान, सबकी खुशियों से बढ़ जाती है मेरी तेरी शान देर तक गूंजती रही। कवयित्री पूजा ने स्त्री की संघर्ष गाथा को प्रस्तुत किया। कवयित्री ऋचा ने ‘लड़की ही जानती है कि उसके सोच में कैसे-कैसे संदर्भ आकार लेते हैं... सुनाया। युवा संस्कृति कर्मी चैतन्य ने कहा कि हमें अच्छी भाषा और भाव के लिए महाकवि राकेश को पढ़ना चाहिए। मौके पर रंगकर्मी प्रमोद आजाद, समर, अभिषेक अंजुम, अनुराग आनंद थे। धन्यवाद राजन गुप्ता ने किया।