फणीश्वरनाथ रेणु ने कम लिखकर अपार यश पाया
फणीश्वरनाथ रेणु एकमात्र ऐसे साहित्यकार थे, जिन्होंने कम लिखकर अपार यश की प्राप्ति की। सन 1942 के आंदोलन में जेल जाना, उनके राजनीतिक जीवन की शुरुआत...
फणीश्वरनाथ रेणु एकमात्र ऐसे साहित्यकार थे, जिन्होंने कम लिखकर अपार यश की प्राप्ति की। सन 1942 के आंदोलन में जेल जाना, उनके राजनीतिक जीवन की शुरुआत थी। ये बातें पटना विवि के पूर्व हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. रामबच्चन राय ने कहीं। वह शनिवार को आरबीबीएम कॉलेज में फणीश्वरनाथ रेणु जन्मशती स्मरण विषय पर आयोजित राष्ट्रीय वेबीनार में बोल रहे थे। इसका आयोजन हिन्दी विभाग की ओर से किया गया था। अध्यक्षता करते हुए प्राचार्य डॉ. ममता रानी ने कहा कि फणीश्वरनाथ रेणु सामाजिक सांस्कृतिक जागरण के अग्रदूत थे। उन्होंने क्लासिक साहित्य में निहित प्रेम की समाजशास्त्रीय व्याख्या की है। बीआरएबीयू के हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो. सतीश कुमार राय ने रामवृक्ष बेनीपुरी और फणीश्वरनाथ रेणु के सानिध्य की चर्चा करते हुए रेणु को अनुभूतियों का साहित्यकार कहा। इलाहाबाद विवि के के एसोसिएट प्रोफेसर आशुतोष पार्थेश्वर ने रेणु को वर्तमान समय से जोड़कर देखा और कहा कि रेणु के साहित्य की अनिवार्यता मनुष्यता की रक्षा को लेकर है। वर्चस्व की राजनीति के माहौल में रेणु का पाठ अनिवार्य है।कार्यक्रम के आयोजन सचिव डॉ. चितरंजन कुमार ने विषय प्रवेश कराते हुये कहा कि जनता के लेखक व राजनीतिक-सामाजिक कार्यकर्ता जैसी कई शिनाख्त के साथ रेणु अपने पाठकीय समाज के बीच जिस प्रतिबद्धता के साथ लगातार खड़े रहे हैं, वह स्वतंत्र भारत में अपनी तरह का निहायत ही अलग अनुभव है। एक बड़ी सांस्कृतिक परिघटना है। कार्यक्रम का संचालन विभागाध्यक्ष सोनल ने किया।