गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को लेकर अधिकारी-शिक्षक आमने-सामने
शिक्षक ईमानदारी से अपने कर्तव्य का निर्वहन करें तो सुधार की गुंजाइश हो सकती है। प्रारंभिक विद्यालयों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को लेकर मंगलवार को आयोजित कार्यशाला में अधिकारी-शिक्षक आमने सामने हुए तो...
स्कूलों की जांच में जब अधिकारी जाते हैं तो बच्चों की संख्या गिनी जाती है, शिक्षण व्यवस्था में सुधार को लेकर कोई पहल क्यों नहीं की जाती। संसाधन की कमी तो है। मगर शिक्षक ईमानदारी से अपने कर्तव्य का निर्वहन करें तो सुधार की गुंजाइश हो सकती है। प्रारंभिक विद्यालयों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को लेकर मंगलवार को आयोजित कार्यशाला में अधिकारी-शिक्षक आमने सामने हुए तो ये बातें सामने आई। बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ गोपगुट की ओर से बीबी कॉलेजिएट में कार्यशाला आयोजित की गई। इसमें संसाधन की कमी से लेकर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की राह में आने वाली बाधाओं को चिह्नित किया गया। डीईओ ललन प्रसाद सिंह ने कहा कि संसाधन की कमी है। मगर हमें भी अपने दायित्वों को समझना होगा। उन्होंने गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए जिला स्तर पर शिक्षकों से उत्सावहपूर्वक अभिरुचि लेने की अपील की।
समस्याओं के समाधान के लिए रूपरेखा बनाने का निर्णय:
डीपीओ सर्व शिक्षा अभियान मो. असगर अली ने कहा कि संसाधन की कमी का रोना लेकर हम अपने दायित्वों से मुंह मोड़ नहीं सकते। समय पर स्कूल जाना, ईमानदारी से बच्चों को पढ़ाना, इन दायित्वों को भी समझना होगा। शिक्षक संघ के महेन्द्र राय, अरुण कुमार सिंह, पवन कुमार, श्यामनंदन सिंह आदि ने कहा कि जांच में बच्चों की संख्या पहले गिनी जाती, मिड डे मिल पर ध्यान पहले रहता है। मगर कोई यह नहीं पूछता कि शिक्षक हैं या नहीं। स्कूल में बेंच-डेस्क समेत अन्य संसाधन है या नहीं। बच्चों को समय पर किताबें नहीं मिलती है। एक-दो शिक्षक वाले स्कूल में शिक्षक मिड डे मिल में लगाए गए रहते हैं। ऐसे में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा कैसे संभव है। कार्यशाला में इन समस्याओं के समाधान के लिए रूपरेखा बनाने का निर्णय लिया गया। शिक्षकों ने कहा कि इसे राज्य स्तर पर भी रखा जाएगा।