कहने को दाता पर स्थिति किसी फकीर या याचक से कम नहीं। खरीफ डूब गई। सरकार ने कहा, मुआवजा देंगे। आंखें पथरा गई, लेकिन मुआवजा सरकारी पन्नों से बाहर नहीं आ रहा है। बेटियों की शादी अटक गई तो बेटे की पढ़ाई। उम्मीद थी रबी में स्थिति सुधरेगी, लेकिन अब वो भी अब पानी में डूबती दिख रही है। रबी की बुआई का समय निकलता जा रहा है और पानी निकलने का नाम नहीं ले रहा है। उत्तर बिहार के अधिकतर जिलों का यही हाल है। लाखों किसानों के सामने दोहरा संकट। सिर पर कर्ज और आंखों में बेबसी। पेश है पूरी रिपोर्ट
जलजमाव के कारण आधे खेत में भी नहीं हो पाई रबी की बुआई
मुजफ्फरपुर। हिन्दुस्तान टीम एक संकट खत्म नहीं हुआ कि दूसरा शुरू। खरीफ की बर्बादी से उबरे नहीं थे कि रबी का संकट सामने खड़ा हो गया है। उत्तर बिहार के अधिकतर जिलों से भले ही दो महीने पहले बाढ़ चली गई हो, लेकिन खेतों में अभी भी पानी जमा है। मुजफ्फरपुर के आधा दर्जन प्रखंडों के साथ ही उत्तर बिहार के लगभग सभी जिलों में पचास फीसदी खेती योग्य जमीन जल जमाव की चपेट में हैं। वहां इस बार रबी की बुआई संभव नहीं है। किसानों के लिए गंभीर संकट उत्पन्न हो गया है। तिरहुत और दरभंगा प्रमंडल के जिलो में 8.53 लाख हेक्टेयर में रबी की बुआई का लक्ष्य रखा गया था। अब तक केवल 5.53 लाख हेक्टेयर में बुआई हो सकी है। कृषि विभाग का दावा है कि लक्ष्य भले ही पूरा न हो, लेकिन उसके करीब पहुंच जाएंगे। मुजफ्फरपुर में अब तक लक्ष्य से 86 हजार हेक्टयर कम भूमि में रबी की बुआई हुई है। विभाग के दावों की सच्चाई किसानों के दर्द से महसूस किया जा सकता है। औराई के अजय सिंह सहित अन्य किसानों ने बताया कि अभी दस फीसदी खेतों में भी गेहूं की बुआई नहीं कर सके हैं। किसानों ने बताया कि घनश्यामपुर, धरहरवा, सीमरी, बभंगामा, नयागांव, औराई, रतवारा पश्चिमी, रामपुर, महेश्वरा समेत दो दर्जन पंचायतों के हजारों हेक्टेयर जमीन में जलजमाव है। औराई के पूर्वी भाग में लखनदेई नदी के टूटे तटबंध के कारण जलजमाव की समस्या उत्पन्न हुई है। वहीं, औराई के पश्चिमी भाग में मनुषमारा नदी का काला पानी किसानों की तबाही का कारण बना है। इस बार गेहूं की बुआई संभव नहीं दिख रही है। यही हाल गायघाट, कटरा, पारू और साहेबगंज की दर्जनों पंचायतों की है।
विलंब प्रभेद भी अब संभव नहीं
कृषि वैज्ञानिक डॉ. रामजी सिंह ने बताया कि गेहूं की बुआई का समय तेजी से निकल रहा है। नवंबर के बाद गेहूं की अगर बुआई होती है तो उसका बुरा असर उत्पादन पर पड़ता है। 15 दिसंबर के बाद तो गेहुं के विलंब प्रभेद को भी नहीं लगाया जा सकता है। जिले के कई प्रखंडों की जो स्थिति है उससे लग रहा है कि गेहूं की बुआई पचास फीसदी से अधिक प्रभावित हो सकती है।
मुआवजे की आस में कहीं शादी अटकी तो कहीं खेती
फसल क्षति मुआवजा की आस में जिले के किसान लंबे समय से टकटकी लगाए हुए हैं। उनके कई जरूरी काम अटके पड़े हैं। मुआवजा राशि नहीं मिलने से कई किसानों के बेटे-बेटियों की शादियां टाल दी गई हैं। बाढ़ की तबाही के बाद आसमान छूती महंगाई के कारण काफी संख्या में किसान इस बार गेहूं और आलू की बुआई भी नहीं कर रहे हैं। किसानों ने अपनी पूरी जमा-पूंजी खरीफ फसल में खर्च कर दी थी। शुरुआती दौर में मौसम और बारिश ने साथ दिया तो लगा कि वर्षों से हो रहे नुकसान की भरपाई इस बार धान व अन्य खरीफ फसलों की अच्छी उपज से हो जाएगी। लेकिन बाढ़ ने दो बार ऐसी तबाही मचायी कि उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया। बड़े किसान तो नुकसान का दंश झेल गए, लेकिन छोटे किसानों की आर्थिक स्थिति बदहाली के दौर से गुजर रही है। उनके सामने परिवार चलाने की चुनौती मुंह बाए खड़ी है। 68 फीसद खरीफ फसल हुई बर्बाद बाढ़ की तबाही ने जिले की 68 फीसद खरीफ फसल को नुकसान पहुंचाया था। अधिकांश खेतों में लगे धान के पौधे बाढ़ के पानी में बह गए। जिला प्रशासन की ओर से डीएम डॉ. चंद्रेशखर सिंह ने राज्य सरकार व केंद्रीय टीम को सौंपी रिपोर्ट में कहा है कि जिले में 160179.95 हेक्टेयर में खरीफ की फसल आच्छादित की गई थी। लेकिन बाढ़ के कारण 108532.88 हेक्टेयर में लगी खरीफ फसलों को नुकसान पहुंचा है। डीएम ने फसलों के नुकसान के एवज में किसानों को फसल इनपुट देने के लिए 30 जुलाई को राज्य सरकार को रिपोर्ट भेजी थी, लेकिन अबतक किसानों को फसल क्षति मुआवजा नहीं मिल सका है। मुआवजे के लिए चार महीने से दौड़ रहेकिसानों ने बताया कि वे चार महीने से मुआवजे के लिए पंचायत कोऑडिनेटर से लेकर ब्लॉक और जिला कृषि कार्यालय के चक्कर लगा रहे हैं। सभी जगह कहा जा रहा है कि मुआवजा के लिए फाइलें जिला व राज्य स्तर को भेज दी गई हैं। आते ही भुगतान हो जाएगा। किसानों ने बताया कि मुआवजा कब आएगा, इसका कोई अता-पता नहीं है।
किसानों ने कहा:
छह एकड़ में धान और मक्का की खेती की थी। बाढ़ में सब बर्बाद हो गया। दिसंबर में भतीजी की शादी शादी होनी तय है। सोचा था, शादी का खर्च फसल क्षति इनपुट से निकल जाएगा। लेकिन काफी दौड़-धूप करने के बाद अब लगाता है कि मुआवजा मिलना मुश्किल है। पैसे की कमी के कारण फिलहाल शादी टाल दी गई है। -मुन्ना सिंह, किसान, मिठनसराय माधोपुर, कांटी
बाढ़ के कारण खरीफ फसल बर्बाद हो गई। मुआवजे की आस में आलू की खेती नहीं कर सके हैं। इतना पैसा नहीं है कि चार हजार क्विंटल आलू बीज खरीदकर बुआई करा सके। पूरी पंचायत की यही स्थिति है। कोई भी छोटा किसान अपने खेतों में फसल की बुआई नहीं कर सका है। -राजेश कुमार राय, किसान, सदातपुर
बाढ़ के कारण फसल नुकसान काफी हुआ है। सर्वे कराकर फसल इनपुट देने के लिए प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा गया है। अबतक इनपुट की राशि नहीं मिली है। मुआवजे का फंड आते ही किसानों को उनके अकाउंट में राशि भेज दी जाएगी। -डॉ. चंद्रशेखर सिंह, डीएम