जलजमाव से जनता बेहाल, वार्ड पार्षद होते रहे निहाल
नगर निगम की मेहरबानी से शहर की डूबी सड़कों पर गुरुवार को एक ही सवाल तैरता रहा। सुरेश कुमार ने कौन सा जादू चला कि डेढ़ महीने पहले ‘ ना करने वाले पार्षदों ने आज ‘हां कर दी। कौन सा पिटारा था जिससे जिन्न...
नगर निगम की मेहरबानी से शहर की डूबी सड़कों पर गुरुवार को एक ही सवाल तैरता रहा। सुरेश कुमार ने कौन सा जादू चला कि डेढ़ महीने पहले ‘ ना करने वाले पार्षदों ने आज ‘हां कर दी। कौन सा पिटारा था जिससे जिन्न निकला और सुरेश कुमार को पूर्व से फिर वर्तमान मेयर बना दिया। अचानक उनका विश्वास डिगा कैसे और फिर ‘किस रास्ते वह वापस आ गया। सबकी जुबां पर एक ही बात थी इस अविश्वास प्रस्ताव के खेल में शहर की पांच लाख जनता का विश्वास टूटा है।
पूरी प्रक्रिया पर बारीक निगाह डालें तो आपको लगेगा कि मेयर चुनाव के बाद से ही निगम के पार्षदों को बस दो साल पूरा होने का इंतजार था। जैसे ही दो साल पूरे हुए तख्तापलट की पूरी पटकथा सामने आ गई। दो साल पहले की पूरी कहानी दोहराई जाने लगी। कुछ पार्षद नेपाल तो कुछ नैनीताल। कुछ शहर में रहकर ही बाहर की सुविधाओं का आनंद ले रहे थे। कुर्सी बचाने और गिराने के खेल में करोड़ों का वारा-न्यारा हो रहा था। उस वक्त शहर पानी को तरस रहा था और माननीय नेपाल के वाटरपार्क में डूबकी लगा रहे थे। अविश्वास प्रस्ताव पास हो गया। मेयर सुरेश कुमार पार्षदों का विश्वास नहीं जीत पाए। सरकार से मेयर चुनाव की तारीख आने के बाद फिर से हलचल तेज हुई। जलजमाव से त्रस्त होने के कारण लोगों को उम्मीद थी उनका पार्षद सामने आएगा। जलजमाव से मुक्ति नहीं तो कम से कम कोशिश जरूर करेगा और उनके दुख में शामिल होगा। कई लेागों ने तो अपने पार्षदों को फोन भी किया। मगर किसी ने उठाया नहीं तो किसी का लगा नहीं। पता चला कोई बिहार से बाहर तो कोई बगल के देश में गया हुआ है। अब आप डूबिए या तैरिए।
शहर की चिंता कहां
डूब रहा है शहर और पिछले चार हफ्ते से चल रहा है अविश्वास का खेल
समस्याओं के समाधान की जगह नेपाल की वादियों की सैर करते रहे पार्षद
शहरवासियों ने उठाया बड़ा सवाल, डेढ़ महीने में कैसे जीत लिया किसी का विश्वास