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नगर थाने के पास 48 घंटे कैद रहा व्यवसायी, पुलिस को भनक तक नहीं

करजा के अंडा व हार्डवेयर व्यवसायी जयप्रकाश नारायण हत्याकांड के मुख्य आरोपित अजय पांडेय से पूछताछ में हुए खुलासे ने पुलिस को भी चौंका दिया है। अगवा व्यवसायी को नगर थाने से महज सौ मीटर की दूरी पर एक...

नगर थाने के पास 48 घंटे कैद रहा व्यवसायी, पुलिस को भनक तक नहीं
हिन्दुस्तान टीम,मुजफ्फरपुरTue, 06 Nov 2018 01:37 AM
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करजा के अंडा व हार्डवेयर व्यवसायी जयप्रकाश नारायण हत्याकांड के मुख्य आरोपित अजय पांडेय से पूछताछ में हुए खुलासे ने पुलिस को भी चौंका दिया है। अगवा व्यवसायी को नगर थाने से महज सौ मीटर की दूरी पर एक अपार्टमेंट में करीब 48 घंटे से अधिक समय तक बंधक बनाकर रखा था। परिजनों से डेढ़ करोड़ की फिरौती मांगी गई, लेकिन पुलिस को इसकी भनक तक नहीं लगी।

अजय पांडेय के बयान के अनुसार, व्यवसायी जयप्रकाश रेवा मेन रोड में नये कारोबार के लिए करीब 10-15 कट्ठा जमीन खोज रहे थे। इसके लिए अजय से संपर्क किया। इसके बाद अजय ने अपनी दूसरी पत्नी प्रियंका व अन्य पुराने साथियों के साथ मिलकर अपहरण की साजिश रची। हनी ट्रैप के जरिए 28 व 29 सितंबर को प्रियंका से फोन कराकर व्यवसायी को जमीन दिखाने के लिए बुलाया। मड़वन के अख्तियारपुर में जमीन दिलाने की बात भी कही। 30 सितंबर को व्यवसायी अपनी बुलेट से मोतीझील के एक अपार्टमेंट में पहुंचे जहां अजय पांडेय अपनी दूसरी पत्नी प्रियंका के साथ रहता था।

मोतीझील के अपार्टमेंट के फ्लैट में किया कैद :

जमीन की सौदेबाजी के दौरान अजय साजिश के तहत वहां से जरूरी काम का बहाना बनाकर पत्नी के साथ निकल गया। व्यवसायी को अपने पुराने साथी खगड़िया के रहीमपुर निवासी राजू सिंह के हवाले कर दिया। राजू के साथ अजहर, दिवाकर उर्फ राहुल व चार अन्य युवक मौजूद थे। इसके बाद राजू ने अजय के इशारे पर उसके परिजनों से फिरौती की मांग की। अजय पांडेय ने बयान में पुलिस को बताया कि कारोबारी के खाते में डेढ़ करोड़ रुपये नहीं थे। पहचान होने की वजह से उसने साथियों के साथ मिलकर हत्या करने की योजना बनाई।

चार इंजीनियरों को भी शराब पिलाकर फंसाया :

वर्ष 2010 में अपहरण कांड में पटना के बुद्धानगर थाने से अजय पांडेय को जेल भेजा गया था। जेल से छूटने के बाद सफेदपोश का चोला ओढ़ लिया। इस दौरान शहर में एक निजी बिजली कंपनी में फर्जी नाम से ठेकेदारी शुरू कर दी। बाद में उसकी पोल खुलने पर वहां कार्यरत इंजीनियरों ने इसका विरोध किया। विरोध करने वाले चार इंजीनियरों को भी शराब पिलाकर पुलिस से पकड़वा दिया। इसकी भी साजिश अजय ने खुद के बचाव में रची थी, लेकिन कंपनी ने उसे हटा दिया।

जिले के एक अधिकारी के साथ दिखता था अजय :

जेल से छूटने और बिजली कंपनी की ठेकेदारी के दौरान वह जिले के एक अधिकारी के साथ कई जगहों पर दिखा। उनके कलेक्ट्रेट परिसर स्थित कार्यालय में घंटों बैठता था। साथ ही कई प्रतिष्ठानों का भी संयुक्त रूप से फीटा काटकर उद्घाटन किया था। हालांकि, उक्त अधिकारी के मुख्यालय तबादले के बाद कलेक्ट्रेट में उठना-बैठना कम हो गया।

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