बाल विवाह सामाजिक अभिशाप व कानूनन अपराध : प्रधान जिला जज
संक्षेप: मुजफ्फरपुर में एक कार्यशाला में प्रधान जिला जज श्वेता कुमारी सिंह ने बाल विवाह को सामाजिक अभिशाप और अपराध बताया। उन्होंने कहा कि बाल विवाह मुक्त समाज के लिए जागरूकता जरूरी है। परिवार न्यायालय के...

मुजफ्फरपुर, हिप्र। प्रधान जिला जज श्वेता कुमारी सिंह ने कहा है कि बाल विवाह सामाजिक अभिशाप व कानूनन अपराध है। बाल विवाह मुक्त समाज बनाने के लिए आवश्यक है कि सरकारी व गैरसरकारी दोनों स्तर पर प्रयास हो। बेटियां तभी सुरक्षित रहेंगी जब वे स्कूल जाएंगी। कहा कि बाल विवाह जैसी कुरीतियों को समाप्त करने के लिए लोगों को जागरूक करने की जरूरत है। इसके लिए पंचायतों में नियमित बाल सभा का आयोजन हो। वहीं, बाल संरक्षण के मुद्दे पर बाल कल्याण संरक्षण समिति, मीना मंच, बाल संसद से जुड़े लोगों को नियमित प्रशिक्षण दिया जाए। वे बुधवार को जिला विधिक सेवा प्राधिकार व समग्र शिक्षण एवं विकास संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला को संबोधित कर रही थीं।
राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकार के निर्देश पर कार्यशाला का आयोजन हुआ। इस दौरान परिवार न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश पियूष प्रभाकर ने कहा कि महिला व पुरुष अनुपात के राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय आंकड़े चिंताजनक है। महिला एवं पुरुष के अनुपात में अगर एक पक्ष भी कमजोर हो तो परिवार एवं समाज पर दुष्प्रभाव पड़ता है। बाल विवाह को रोकने के लिए सभी को मिलकर प्रयास करना होगा। प्राधिकार की सचिव जयश्री कुमारी ने कहा कि आज भी बाल विवाह हो रहा है। इसे रोकने की जिम्मेदारी हमसबों की है। प्राधिकार की एएसएचए (जागरूकता, समर्थन, सहायता व कार्रवाई) की मानक संचालन प्रक्रिया बाल विवाह से मुक्ति दिलाएगी। कवच परियोजना के राज्य प्रतिनिधि अभिजीत डे ने कहा कि 18 वर्ष से कम उम्र में शादी लड़कियों को शारीरिक व मानसिक क्षति पहुंचाता है। मौके पर सिविल सर्जन डॉ. अजय कुमार, एसडीओ पूर्वी व पश्चिमी भी थे।

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