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नए कानून के एक साल हुए, अब तक हाथ से ही लिखी जा रही केस डायरी

मुजफ्फरपुर में नए कानून के तहत पुलिस को अनुसंधान और सबूतों को ऑनलाइन करने के निर्देश दिए गए थे। लेकिन एक साल बाद भी 40 प्रतिशत आईओ मैन्युअल केस डायरी का उपयोग कर रहे हैं। तकनीकी दक्षता की कमी के कारण...

Newswrap हिन्दुस्तान, मुजफ्फरपुरFri, 25 July 2025 07:24 PM
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नए कानून के एक साल हुए, अब तक हाथ से ही लिखी जा रही केस डायरी

मुजफ्फरपुर, प्रमुख संवाददाता। नए कानून के तहत केस दर्ज होने के साथ अनुसंधान और साक्ष्य संकलन तक के पुलिस के सारे कार्य एप पर ऑनलाइन होने थे। लेकिन, नया कानून लागू होने के एक साल पूरे होने के बाद भी मुजफ्फरपुर जिला पुलिस बल के 40 प्रतिशत आईओ हाथ से ही केस डायरी लिख रहे हैं। केस के सबूतों को ई-साक्ष्य एप पर लोड करना है। इसमें भी कई स्तर पर खामियां सामने आ रही हैं। अधिक एमबी के फाइल ई-साक्ष्य एप पर अपलोड होने में परेशानी आ रही है। नए कानून में अनुसंधान व ट्रायल के अलग-अलग स्तर पर तकनीक के इस्तेमाल पर जोर दिया गया है।

आरोपी की गिरफ्तारी, पुलिस और फॉरेंसिक एक्सपर्ट द्वारा घटनास्थल का निरीक्षण, पीड़ित और गवाहों के बयान, छापेमारी, जब्ती आदि के ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग और इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य एकत्रित किए जाने को आवश्यक बनाया गया है। हालांकि, एक साल बाद भी पुलिस के आईओ व पदाधिकारी तकनीकी रूप से दक्ष नहीं हो पाए हैं। इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य जुटाने और इसे एप पर डिजिटली फॉरवर्ड कर पाने में भी 50 प्रतिशत से अधिक आईओ अक्षम हैं। पुलिस, न्यायालय और जेल के सॉफ्टवेयर भी आपस में लिंक नहीं हो पाए हैं। अब भी जमानत पर सुनवाई व गिरफ्तार आरोपित को जेल भेजने के समय केस डायरी की हार्ड कॉपी ही न्यायालय में जमा की जाती है। नए कानून में व्यवस्था की गई थी कि आईओ अनुसंधान के बाद जैसे ही केस डायरी एप पर अपडेट करेंगे वह सीधे न्यायालय से लेकर तमाम वरीय अधिकारी तक पहुंच जाएगी। न्यायालय केस डायरी को ऑनलाइन ही देखकर निर्णय लेता। अभी आईओ केस डायरी को पहले एप पर अपलोड करते हैं फिर उसे डाउनलोड कर हार्डकॉपी न्यायालय में प्रस्तुत करते हैं। इसी तरह आईओ अपने निजी मोबाइल से गवाहों के बयान का वीडियो बनाते हैं। घटनास्थल का वीडियो व तस्वीर भी अपने मोबाइल से ही लेते हैं। इसके लिए थाने में अलग से डिवाइस उपलब्ध नहीं है। मोबाइल में लिए गए वीडियो को ई-साक्ष्य एप पर अपलोड कराया जाता है। इसके बाद सभी साक्ष्यों को पेन ड्राइव में सेव कर न्यायालय में प्रस्तुत किया जा रहा है। अगले माह में शुरू होगा ई-समन एप : नए कानून के तहत न्यायालय से समन व वारंट आदि जारी होते ही सीधे ई-समन एप पर अपलोड हो जाएगा। यह एसएसपी व एसपी के पास पहुंचेगा। एसएसपी कार्यालय से इसे संबंधित थानेदार को भेजा जाएगा और थानेदार संबंधित आईओ व पुलिस अधिकारी को इसे सौंपेंगे। आईओ संबंधित पते पर पहुंचकर अपने मोबाइल से ही समन रिसीव कराएंगे और इसे सबमिट करते ही ऑनलाइन लोकेशन के साथ न्यायालय को पावती रसीद पहुंच जाएगी। हालांकि, यह व्यवस्था एक साल के दौरान लागू नहीं हो पाई। अब आगामी एक अगस्त से पूरे बिहार में इसे लागू करने की योजना बनाई गई है। एसएसपी सुशील कुमार ने बताया कि एक अगस्त से जिले में ई-समन एप पर कार्य शुरू हो जाएगा। इसके बाद थाना स्तर पर कोई वारंट या समन लंबित नहीं रहेगा। बयान : जिला बल के करीब 60 प्रतिशत आईओ ऑनलाइन एप पर केस डायरी लिख रहे हैं। सभी को लैपटॉप उपलब्ध कराया गया है। 40 प्रतिशत आईओ में पुराने बैच के पुलिसकर्मियों हैं। उन्हें भी अभ्यास कराया जा रहा है। ई-साक्ष्य एप पर केस के ज्यादातर साक्ष्यों को अपलोड कराया जा रहा है। पुलिस, कोर्ट और जेल के एप को लिंक करने के बिंदू पर प्रदेश मुख्यालय स्तर पर कार्य हो रहा है। -सुशील कुमार, एसएसपी

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