यह कैसा सुविधा विस्तार, बाजार समिति में अब भी जलजमाव और कचरे का अंबार
मुजफ्फरपुर की बाजार समिति का आधुनिकीकरण पिछले दो सालों से चल रहा है, लेकिन यहां बुनियादी सुविधाओं की कमी बनी हुई है। शौचालय और पेयजल की व्यवस्था नहीं है, और जलजमाव की समस्या जस की तस है। व्यापारी कहते...
मुजफ्फरपुर। बाजार समिति आधुनिकीकरण के बाद भी सुविधाविहीन है। दो साल पहले ई-बाजार योजना के तहत यहां काम शुरू हुआ। पहला चरण लगभग पूरा हो चुका है, मगर हाल यह है कि भवनों का निर्माण तो करा लिया गया, पर शौचालय और पेयजल जैसी सुविधाओं का विस्तार भूल गए। जलजमाव न हो, इसके लिए बड़े-बड़े नाले बना दिए, मगर आउटलेट नहीं होने से परिसर का पानी बाहर नहीं निकल पा रहा है। छह माह पहले जिम्मेदार ने जल्द जलजमाव से निजात का वादा किया था, लेकिन समस्या जस की तस है। रोशनी के लिए पूरे परिसर में हाई मास्ट व स्ट्रीट लाइटें लगीं, पर रोशन नहीं हो सकीं। कचरा निष्पादन का प्रबंध नहीं होने से परिसर में गंदगी का अंबार है। कारोबारियों का कहना है कि हर साल सरकार को करीब 3.5 करोड़ की कमाई केवल यहां की दुकानों के किराए से होती है। बावजूद सुविधाएं बदहाल हैं। उत्तर बिहार की सबसे बड़ी कृषि उत्पादन बाजार समिति ने अपनी पांच दशकों की यात्रा के दौरान कई उतार-चढ़ाव देखे। करीब एक सौ दुकानों से शुरू इसकी विकास यात्रा अब 550 दुकानों तक जा पहुंची है। अपने स्थापना काल से लेकर अब तक शहर के साथ ही जिले की अर्थव्यवस्था की रीढ़ बनी हुई है। सालाना एक से डेढ़ हजार करोड़ का कारोबार करनेवाली इस बाजार समिति का आधुनिकीकरण पिछले दो साल पहले शुरू हुआ। पहला चरण लगभग पूरा होने के बावजूद बाजार समिति परिसर अब भी विकास के कई मानकों पर पिछड़ा हुआ है। बाजार समिति परिसर में खाद्यान्न, खाद्य तेल, फल, मछली और आलू-प्याज के अलग-अलग परिसर बनाए गए हैं, जहां प्रतिदिन करीब दो हजार ट्रक आते हैं। आवागमन में सुविधा के लिए बाजार समिति की स्थापना जीरोमाइल के पास की गई थी, लेकिन इन वाहनों को हर रोज जाम का सामना करना पड़ता है, क्योंकि शहर का विस्तार इस इलाके से बहुत आगे तक हो चुका है। इसके अलावा जीर्णोद्धार के बाद बने इसके परिसर में अब भी कई बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं। कारोबारियों का कहना है कि जीर्णोद्धार के दौरान स्थानीय अधिकारी सही तरीके से मॉनिटरिंग करने में विफल रहे। नतीजतन निर्माण कंपनी ने जैसे-तैसे पहले चरण का काम तो पूरा करा दिया। हालांकि अब भी कई मूलभूत सुविधाओं की कमी से बाजार समिति के व्यापारियों को इसके आधुनिकीकरण का लाभ नहीं मिल पा रहा है। आधुनिकीकरण के नाम पर आरसीसी सड़कें और भवनों का निर्माण तो करा लिया गया, लेकिन उन भवनों में शौचालय, पेयजल और अन्य सुविधाओं का विस्तार अब तक नहीं किया जा सका है। इसके अलावा जलजमाव से छुटकारा दिलाने के लिए बड़े-बड़े नाले बना दिए गए, लेकिन आउटलेट नहीं होने से परिसर का पानी बाहर नहीं निकल पा रहा है। नतीजतन व्यवसायियों को पहले से कहीं अधिक जलजमाव का सामना करना पड़ रहा है। साफ-सफाई का मुकम्मल प्रबंध नहीं होने से पूरा परिसर ही कीचड़ से पटा हुआ है।
कचरा निष्पादन का प्रबंध न साफ-सफाई
दूसरे जिलों से आए शशिरंजन साह, धर्मेंद्र कुमार और नेपाल से आए मो. कफील ने बताया कि पूरे परिसर में गंदगी का अंबार लगा हुआ है। देखकर लगता ही नहीं है कि इसका जीर्णोद्धार हुआ है। जलजमाव के अलावा कचरे से निकलने वाली दुर्गंध के कारण दस मिनट भी यहां खड़ा रहना मुश्किल हो रहा है। इसके अलावा न तो यहां ठहरने का प्रबंध है और न खाने-पीने की कोई अच्छी-सी दुकान दिखती है। देर रात बाहर से आए लोगों के लिए ठौर ढूंढना चुनौती से कम नहीं है।
रोशनी को हाई मास्ट लाइटें लगीं, पर रोशन नहीं हो सकीं
बाजार समिति में स्थायी दुकान चलाने वाले नीरज कुमार, कुमुद चौधरी और राम स्वार्थ साह का कहना है कि पूरे परिसर में करीब 400 स्ट्रीट लाइटों के अलावा दो दर्जन हाई मास्ट लाइटें लगाई गई हैं, लेकिन टेस्टिंग के दिन को छोड़कर आज तक इनमें लगे बल्ब रोशन नहीं हो पाए। नतीजतन शाम होते ही पूरे परिसर में अंधेरा पसर जाता है। इसका फायदा उठाकर असामाजिक तत्व परिसर में जमावड़ा लगाते हैं। बाहर से आए व्यापारियों के साथ अक्सर लूटपाट करते रहते हैं।
नये-नये भवन बने, मगर शौचालय और पानी का प्रबंध नहीं
बाजार समिति व्यवसायी संघ के उपाध्यक्ष शंभू प्रसाद, महासचिव पवन दूबे और संतोष गुप्ता ने बताया कि इस बाजार में प्रतिदिन 10 हजार से अधिक व्यवसायियों और वाहन चालकों का आना-जाना होता है। आधुनिकीकरण के नाम पर नये भवन तो बना दिए गए। सड़कें भी आरसीसी बना दी गईं, लेकिन न तो भवनों में शौचालय का प्रबंध किया गया और न पेयजल के लिए जलापूर्ति का कोई उपाय हुआ। पहले हर आढ़ती के यहां शौचालय था, जिनमें पानी टंकियों से जलापूर्ति की जाती थी।
चुनाव में मतगणना स्थल से प्रभावित होता है व्यवसाय
परिसर के स्थायी दुकानदार प्रभुनाथ तिवारी, सुबोध कुमार और शिव कुमार का कहना है कि हर साल किसी न किसी तरह का चुनाव होता है। उसके लिए बाजार समिति प्रांगण में ही मतगणना स्थल बना दिया जाता है। आवंटित दुकानों को खाली करना पड़ता है। व्यवसायियों को अपना कारोबार कहीं और ले जाना पड़ता है। इसके कारण तीन महीनों तक व्यवसाय पूरी तरह से चौपट हो जाता है। इसलिए जिला प्रशासन भविष्य में होनेवाले सभी चुनावों के मतगणना स्थल को कहीं और स्थापित करे।
निर्माण एजेंसी को सही तरीके से काम करने का दिया जाएगा निर्देश
मेरी अभी कुछ दिनों पूर्व ही पदस्थापना हुई है। बाजार समिति के कारोबारियों से एक बैठक कर उनकी समस्या जानने का प्रयास करूंगा और नियमानुसार प्रबंधों को दुरुस्त किया जाएगा। जहां तक सुरक्षा की बात है, उसको लेकर पुलिस प्रशासन से भी बात की जाएगी। जो भी सहयोग संभव हो सकेगा, कारोबारियों को देने की कोशिश होगी। निर्माण एजेंसी को भी सही तरीके से काम करने के आदेश दिए जाएंगे।
-तुषार कुमार, एसडीओ पूर्वी
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