Muzaffarpur Entrepreneurs Struggle with Debt Amidst Unfavorable Amnesty Policy 2025 एमनेस्टी पॉलिसी सरल बनाए सरकार संसाधन मुहैया कराने की है दरकार, Muzaffarpur Hindi News - Hindustan
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एमनेस्टी पॉलिसी सरल बनाए सरकार संसाधन मुहैया कराने की है दरकार

मुजफ्फरपुर के बेला औद्योगिक क्षेत्र के उद्यमी कर्ज के बोझ तले दबे हैं। सरकार की एमनेस्टी पॉलिसी-2025 को उद्यमियों ने निराशाजनक बताया है। उनका कहना है कि यह पॉलिसी उनकी समस्याओं का समाधान नहीं कर रही...

Newswrap हिन्दुस्तान, मुजफ्फरपुरSun, 7 Sep 2025 06:42 PM
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एमनेस्टी पॉलिसी सरल बनाए सरकार संसाधन मुहैया कराने की है दरकार

<मुजफ्फरपुर। कई तरह की समस्याओं में उलझा बेला औद्योगिक क्षेत्र और कर्ज के बोझ तले दबे यहां के उद्यमी कराह रहे हैं। उनके जख्मों पर मरहम लगाने के लिए सरकार एमनेस्टी पॉलिसी-2025 लाई, लेकिन उद्यमियों को यह पॉलिसी रास नहीं आ रही है। उल्टा इसे जले पर नमक मान रहे हैं। उन्हें इस एमनेस्टी पॉलिसी का कोई फायदा नजर नहीं आ रहा है। वे इसकी खामियां गिना रहे हैं। उद्यमी इस पॉलिसी की एक बार समीक्षा करने की आवश्यकता बता रहे हैं। उनका कहना है कि पुराने उद्योगों के लिए पर्याप्त जरूरी संसाधन उपलब्ध कराए जाएं ताकि उद्यमियों को प्रोत्साहन मिले।

मुजफ्फरपुर उत्तर बिहार का सबसे उभरता हुआ औद्योगिक क्षेत्र है। बेला औद्योगिक क्षेत्र के बाद मोतीपुर और अब पारू में सरकार नया और जिले का तीसरा सबसे बड़ा औद्योगिक क्षेत्र 700 एकड़ में विकसित करने जा रही है। इसके लिए जमीन अधिग्रहण की तैयारी भी शुरू हो चुकी है। लेकिन, इससे पहले मुजफ्फरपुर शहर से सटे बेला औद्योगिक क्षेत्र के उद्यमियों की हालत दयनीय है। यहां के उद्यमी कर्ज में हैं। कई फैक्ट्रियां बंद हो चुकी हैं और कई बंद होने के कगार पर हैं। ऐसे में बिहार सरकार के उद्योग विभाग ने उद्यमियों के लिए एमनेस्टी पॉलिसी-2025 एक बार फिर लागू की है। लेकिन अब तक मुजफ्फरपुर के उद्यमियों ने इसमें रुचि नहीं दिखाई है। इससे पूर्व वर्ष 2023 में भी यह लागू की गई थी। हिन्दुस्तान से बातचीत में लघु उद्योग भारती से जुड़े उद्यमी भारत भूषण, श्याम सुन्दर भीमसेरिया, प्रकाश कर्ण, पवन कुमार, सुरेश कतान आदि ने कहा कि यह पॉलिसी 2023 के पॉलिसी से भी खराब है। इससे बंद फैक्ट्री चालू नहीं होगी, बल्कि चालू फैक्ट्रियां भी बंदी की कगार पर पहुंच जाएगी। पांच फीसदी बैंक गारंटी और एक प्रतिशत प्रशासनिक शुल्क की शर्त उद्यमियों की पूंजी खत्म करने वाली शर्त है। यह पॉलिसी उभरते औद्योगिक क्षेत्र की राह में रोड़ा की तरह है। इस पर सरकार को विचार कर इसमें संशोधन किया जाना चाहिए। तभी उद्योग जगत रफ्तार पकड़ सकता है। साथ ही पुराने औद्योगिक क्षेत्रों में मूलभूत सुविधाएं विकसित की जाए। उद्यमियों का कहना है कि बंद फैक्ट्रियों को सरकार बिना शर्त खुलवाए, तभी राहत संभव है।

अवनीश किशोर, मनोज प्रसाद गुप्ता, प्रशांत कुमार चौधरी आदि ने साफ तौर पर कहा कि वे पहले से टैक्स दे रहे हैं। आगे भी देते रहेंगे। एमनेस्टी पॉलिसी को और सरल करने की जरूरत है। उद्यमियों ने कहा कि सरकार पारू में औद्योगिक क्षेत्र स्थापित करने जा रही है। पहले जो चालू और विकासशील औद्योगिक क्षेत्र है, उसे बेहतर करना चाहिए। विदेशी निवेशक संसाधनहीन औद्योगिक क्षेत्र देखकर लौट रहे हैं। दोबारा नहीं आना चाह रहे। स्थानीय को टैक्स और कठोर नियम-कायदे में बांधने का प्रयास किया जा रहा है। सड़क, नाला, चिकित्सा, रेस्ट हाउस आदि उपलब्ध कराकर फिर नये केंद्र स्थापित करना चाहिए। अन्यथा पुराना तो पुराना ही रहेगा। नये जगहों पर मोतीपुर की तरह सीमित उद्यमी पहुंचेंगे। जमीन आवंटित कराएंगे और फिर दोबारा लौटकर नहीं आएंगे। उद्यमियों ने बियाडा के एक पूर्व अधिकारी पर बड़ा आरोप लगाया। चितरंजन प्रसाद, पवन कुमार, प्रकाश कर्ण आदि कहा कि उन्होंने मुजफ्फरपुर में उद्योग लाने का नहीं, उद्यमियों को भगाने का काम किया है। वे दूसरे राज्यों की बड़ी-बड़ी कंपनियों से मिलकर स्थानीय उद्यमियों को प्रताड़ित करते थे। चालू कारखाने को बिना कारण नोटिस भेजकर बंद कर दिया। ऐसे कई उद्यमी हैं, जो पुराने अधिकारी की वजह से कर्जदार हो गये हैं। वे बीमार तक हो गये हैं। कुछेक को हार्ट अटैक तक आ चुका है। फिलहाल वैसी फैक्ट्रियां बंद पड़ी हैं। बियाडा से अपने हक के लिए उद्यमी लड़ रहे हैं। ऐसे में सरकार की ओर से लायी गयी एमनेस्टी पॉलिसी उद्यमियों के लिए लाभदायक नहीं है।

बोले जिम्मेदार :

सड़क का मरम्मत कार्य जारी है। तीन किलोमीटर से अधिक सड़क का मरम्मत कार्य पूरा कर लिया गया है। आगे इसे जल्द पूरा किया जाएगा। बेला औद्योगिक क्षेत्र में सुधार के कई काम किये जा रहे हैं। पॉलिसी सरकार बनाती है। उद्यमी आवेदन दें, मैं उनके आवेदन को उद्योग विभाग तक पहुंचाने का काम करूंगा।

-नीरज कुमार, डीजीएम

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