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जैव विविधता का क्षरण कर रहा मनुष्य, बचाव जरूरी

अभी विलुप्ति की छठी लहर है जिसका कारण मानव की विध्वंसक गतिविधियां हैं। उष्ण कटिबंधिय वर्षा वन जैव विविधता संपन्न होते हैं। इस कारण इसे ‘पृथ्वी का...

जैव विविधता का क्षरण कर रहा मनुष्य, बचाव जरूरी
हिन्दुस्तान टीम,मुजफ्फरपुरFri, 21 May 2021 10:03 PM
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मुजफ्फरपुर। वरीय संवाददाता

अभी विलुप्ति की छठी लहर है जिसका कारण मानव की विध्वंसक गतिविधियां हैं। उष्ण कटिबंधिय वर्षा वन जैव विविधता संपन्न होते हैं। इस कारण इसे ‘पृथ्वी का फेफरा कहा जाता है। ये ऑक्सीजन के प्रमुख उत्पादक एवं कार्बन ड्राइ ऑक्साइड के अवशोषक होते हैं। इनका विस्तार पृथ्वी की कुल सात प्रतिशत भौगोलिक भूमि पर है। दुनिया की 50 प्रतिशत पहचानी गई प्रजातियां इन्हीं वनों में पायी जाती है। अधिकतर वर्षावन दुनिया के विकासशील देशों में है इसलिये जनसंख्या विस्फोट इन वनों के विनाश का प्रुमख कारण है। अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस के एक पूर्व बीआरए बिहार विवि के पीजी जूलॉजी के विभागाध्यक्ष प्रो. मनेन्द्र कुमार ने कहीं।

उन्होंने कहा कि विविधता कृषि पैदावार बढ़ाने के साथ-साथ रोग प्रतिरोधी एवं कीट प्रतिरोधी फसलों की किस्मों के विकास में भी सहायक है। लगभग 25 प्रतिशत उपलब्ध औषधियों को उष्ण कटिबंधीय वनस्पतियों से प्राप्त किया जाता है। मनुष्य की ओर से जैव विविधता का क्षरण हो रहा है। क्षरण के कुछ मुख्य कारण हैं, आवास विनाश, आवास विखंडन, प्राकृतिक संपदा का अत्यधिक शोषण एवं दोहन विभिन्न प्रकार के प्रदूषण, वन विनाश, वन्य जीवों का शिकार विदेशी मूल की वनस्पतियों का आक्रमण, ग्लोबल वार्मिंग आदि है। अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस पर यह संकल्प लेना होगा कि हम जंगलों को नष्ट नहीं करें, प्रदूषण घटायें एवं प्राकृतिक संपदा का अत्यधिक दोहन नहीं करें ताकि समृद्ध जैव विविधता कायम रहे जो प्रकृति के संतुलन के लिए आवश्यक है।

50 करोड़ वर्ष के इतिहास में पांच महा विलुप्तिकरण की लहर

पृथ्वी की उत्पत्ति लगभग 450 करोड़ वर्ष पूर्व हुई और इस पर जीवन की उत्पत्ति लगभग 350 करोड़ वर्ष पहले हुई। विभिन्न सजीवों की लगभग 87 लाख प्रजातियां पृथ्वी पर मानी जाती है। इसमें लगभग 65 लाख भूमि पर एवं 22 लाख समुद्र में अभी तक 87 लाख में लगभग 12 लाख प्रजातियों की ही पहचान हो पाई है। विभिन्न प्रकार के कीट सर्वाधिक है। हाल के कुछ वर्षों में हुए अनेक जीवों के विलुप्तिकरण का मुख्य कारण मनुष्य हैं। इसे रोकना आवश्यक है। इस वर्ष अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस का थीम ‘वन और जैव विविधता है। 50 करोड़ वर्ष के इतिहास में पांच महाविलुप्तिकरण का लहर आया और अनेकों प्रजातियां समाप्त हो गई। पहला आर्डोविसियन काल (45 करोड़ वर्ष पूर्व), दूसरा डेबोनियन काल (37 करोड़ वर्ष पूर्व), तीसरा परनियम काल (25 करोड़ वर्ष पूर्व), चौथा ट्रामसिक (20 करोड़ वर्ष पूर्व) एवं पांचवां क्रिटेसियस काल (6.5 करोड़ वर्ष पूर्व) था।

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