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प्रभु तेरी दृष्टि मात्र से पूरी सृष्टि पलती

रेवा बसंतपुर माई स्थान के प्रांगण में चल रहे सात दिवसीय पुरुषोत्तम मास कथा के सातवें व अंतिम दिन कथावाचक पंडित शंभूशरण मिश्रा ने भावविह्वल हो कहा- प्रभु तेरी दृष्टि मात्र से पूरी सृष्टि पलती है।...

 प्रभु तेरी दृष्टि मात्र से पूरी सृष्टि पलती
हिन्दुस्तान टीम,मुजफ्फरपुरThu, 24 Sep 2020 06:35 PM
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रेवा बसंतपुर माई स्थान के प्रांगण में चल रहे सात दिवसीय पुरुषोत्तम मास कथा के सातवें व अंतिम दिन कथावाचक पंडित शंभूशरण मिश्रा ने भावविह्वल हो कहा- प्रभु तेरी दृष्टि मात्र से पूरी सृष्टि पलती है। लंगड़ा उछलता है, अंधा देखने लगता है, गूंगा गुनगुनाता है और बहरा सुनने लगता है। फिर भक्ति की गहराई में डूबकी लगाते हुए नवधा भक्ति की चर्चा की। कोई सुनकर रिझता है, कोई सुनाकर रिझाता है, बड़े कोमल है मुरली बजैया, रिझते देर नहीं लगती। जब भगवान श्रीराम पिता की आज्ञा से वन को चले गए, तो भरत अपने राज समाज, गुरु, माता व नगरवासियों के साथ प्रभु श्रीराम को वन से वापस लाने को गए। भगवान श्रीराम से अयोध्या लौटने का अनुरोध किया। प्रभु श्रीराम ने पिता के वचन की मर्यादा भंग होने की बात कहकर मना कर दिया। फिर धर्म मर्मज्ञ भरत ने प्रभु श्रीराम से बड़ी विनम्रता के साथ पादसेवन भक्ति मांग ली। चरण पादुका ले लिया और चौदह वर्षों तक राजसिंहासन पर रखकर पूजन करते रहे। मौके पर आयोजन समिति के दिनेश राय, संगीता देवी, बनारस राय, विनय राय, लखिन्द्र राय, आनंदी राय, संतोष राय व गणिनाथ सहनी थे।

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