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लोकसभा चुनाव 2019 : जीत के लिए प्रत्याशियों की नजरें मतों की सेंधमारी पर टिकीं

वाल्मीकिनगर लोकसभा क्षेत्र सूबे का सर्वाधिक हरियाली बहुल इलाका है। यहां का राजनीतिक इतिहास भी कम रोचक नहीं। पहली बार 1952 में यहां चुनाव हुआ। तब कांग्रेस के विपिन बिहारी वर्मा ने जीत दर्ज कर क्षेत्र...

लोकसभा चुनाव 2019 :  जीत के लिए प्रत्याशियों की नजरें मतों की सेंधमारी पर टिकीं
हिन्दुस्तान टीम,मुजफ्फरपुरWed, 08 May 2019 03:55 PM
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वाल्मीकिनगर लोकसभा क्षेत्र सूबे का सर्वाधिक हरियाली बहुल इलाका है। यहां का राजनीतिक इतिहास भी कम रोचक नहीं। पहली बार 1952 में यहां चुनाव हुआ। तब कांग्रेस के विपिन बिहारी वर्मा ने जीत दर्ज कर क्षेत्र का पहला सांसद होने का गौरव प्राप्त किया था। इसके दो चुनाव बाद 1967 में यह क्षेत्र सुरक्षित घोषित कर दिया गया। कांग्रेस ने भोला राउत से कमलनाथ तिवारी की सीट की अदला-बदली कर दी। बेतिया से भोला राउत वाल्मीकिनगर (तब बगहा) चले गये। कमलनाथ तिवारी बेतिया आ गए। दोनों ने इस चुनाव में जीत दर्ज की। वाल्मीकिनगर में 1977 को छोड़ 1967 से 84 तक भोला राउत ने कांग्रेस का परचम लहराया। इसके बाद बारी थी महेंद्र बैठा की। जनता दल, समता पार्टी और जदयू के टिकट पर उन्होंने चुनाव लड़ा। 1989 से लेकर 1999 तक वे यहां से जीत दर्ज करते रहे। 2004 में एक बार फिर जदयू के कब्जे में यह सीट रही और कैलाश बैठा ने जीत दर्ज की। इस बार के चुनाव में जीत के लिए पार्टी व प्रत्याशियों की नजरें वोटों की सेंधमारी पर टिकी है।

परंपरागत वोटों को लेकर रोमांचक मुकाबले के आसार बढ़े

एनडीए की ओर जदयू के बैद्यनाथ महतो वाल्मीकिनगर से प्रत्याशी घोषित किए गए। इसके जवाब में कांग्रेस ने मास्टर स्ट्रोक लगाया। पूर्व मुख्यमंत्री केदार पाण्डेय के पोते व पूर्व सांसद मनोज पाण्डेय के बेटे शास्वत केदार को टिकट थमाया। शास्वत की पत्नी पूर्व सांसद कमलनाथ तिवारी की पोती हैं। दो दिग्गज राजनीतिक घराने से संबंध रखने वाले शास्वत को उतारकर यहां महागठबंधन ने परंपरागत ब्राह्मण वोट को फिर से अपने पाले में लाने के लिए दांव चला है। इधर, बसपा से दीपक यादव भी ताल ठोंक रहे हैं।

जनजाति, कुशवाहा, ब्राह्मण वोटों की संख्या अधिक

वाल्मीकिनगर लोकसभा क्षेत्र नदी, पहाड़, जंगल के साथ-साथ कई धार्मिक स्थलों की खूबसूरती खुद में समेटे हुए है। गौनाहा, नरकटियागंज, रामनगर, बगहा समेत कई प्रखंडों में जनजातियों की संख्या अधिक है। इनमें थारू व उरांव जनजाति शामिल हैं। कुशवाहा, ब्राह्मण, मुस्लिम व यादव वोट भी जीत-हार में अहम भूमिका निभाती है। राजपूत वोट समीकरण को अपने तरीके से प्रभावित करता है।

पहाड़ी क्षेत्रों में बिजली, पानी व संचार सेवा का है अभाव

वाल्मीकिनगर संसदीय क्षेत्र में पड़ने वाले विधानसभा हैं नरकटियागंज, लौरिया, रामनगर, बगहा, वाल्मीकिनगर और सिकटा। यहां के पहाड़ी क्षेत्रों में बिजली पानी व संचार सेवा का अभाव है। बगहा-पनियहवा नेशनल हाइवे जर्जर हो चुका है। नदियों में मिस्कट का खनन बंद हो गया है। नरकटियागंज-भिखनाठोरी रेल मार्ग तीन साल से बंद है। महिला कॉलेज नहीं होने से छात्राओं को काफी परेशानी होती है। जंगली जानवरों से किसानों को काफी नुकसान पहुंचता है। वर्तमान सांसद : सतीश चंद्र दुबे

चनपटिया से लगातार दो बार विधायक चुने गए

सतीश चंद्र दुबे पहली बार 2000 में चनपटिया विधानसभा क्षेत्र से शिव सेना के टिकट पर चुनाव लड़े। इस चुनाव में मामूली अंतर से उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद वे चनपटिया से लगातार दो बार भाजपा के टिकट पर विधायक चुने गये। 2010 में भाजपा ने उन्हें नरकटियागंज विस से चुनाव लड़ाया। यहां भी वे जीते। 2014 में वाल्मीकिनगर से लोकसभा में कांग्रेस के पूर्णमासी राम को हराया।

कौन जीते

कौन हारे

2014

जीते : सतीश चंद्र दुबे, भाजपा, 364011

हारे : पूर्णमासी राम, कांग्रेस, 246218

2009

जीते : बैद्यनाथ महतो, जदयू, 277696

हारे : फखरूद्दीन, निर्दलीय, 94021

2004

जीते : कैलाश बैठा, जदयू, 237989

हारे: हीरालाल राम, एलजेएनएसपी 172614

1999

जीते : महेंद्र बैठा जदयू, 261498

हारे : पूर्णमासी राम, आरजेडी, 206747

1641701

कुल मतदाता

1701

मतदान केंद्र

882111

पुरुष मतदाता

759491

महिला मतदाता

91

थर्ड जेंडर

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