मेरी सुनो : छह घंटे तक एम्बुलेंस से एक से दूसरे अस्पताल का काटता रहा चक्कर
मेरी सुनो: मुजफ्फरपुर। वरीय संवाददाता सात दिन पहले बुखार लगा। दवा खायी तो...

मेरी सुनो:
मुजफ्फरपुर। वरीय संवाददाता
सात दिन पहले बुखार लगा। दवा खायी तो तीन दिन पहले ठीक हो गया। इसके दो दिन बाद अचानक तबीयत ज्यादा बिगड़ गई। घर के सभी लोग घबरा गए और आनन-फानन में एंबुलेंस से एक निजी अस्पताल पहुंचे। टेस्ट करने के बाद कहा गया कि आप कोरोना पॉजिटिव हैं। इस अस्पताल में जगह नहीं है, इसलिए भर्ती नहीं किया जा सकता है। परिवार वालों ने मिन्नत की कि भर्ती कर लीजिए। इस पर उन लोगों ने कहा कि हमारे यहां बेड खाली नहीं है। इनकी स्थिति इतनी खराब है कि अगर आप घर या कहीं दूर लेकर गए तो स्थिति बिगड़ सकती है। इसके बाद परिवार वाले दूसरे अस्पताल में लेकर गए, लेकिन वहां भी यही स्थिति रही।
छह घंटे तक एंबुलेंस में मैं पड़ा रहा और एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल का चक्कर काटता रहा। कलमबाग चौक के 49 वर्षीय व्यक्ति ने कहा कि उस छह घंटे में न जाने कितनी मौत मैं और मेरे परिवार वाले मरे। इस बीच मेरी एक भाभी जो बाहर रहती है और डॉक्टर है, उसने कई डॉक्टर से फोन पर ही संपर्क कर परिवार वालों को कुछ दवाइयां लिखाई और मुझे घर ले जाने को कहा गया। घर आने के बाद लगातार ऑनलाइन ही चिकित्सकों के संपर्क में रहा और उन्होंने जो भी एहतियात बरतने को कहा उसका पालन करता रहा। आज से स्थिति ठीक लग रही है। होम आइसोलेशन में हूं और पूरे नियम का पालन कर रहा हूं। ऊपर वाले का ही रहम है कि एंबुलेंस में चक्कर काटने के बाद भी मुझे जिंदगी मिल गई है।
