युवाओं में सेल्फी साइकोलॉजी ड्रग एडिक्शन की तरह
पीजी मनोविज्ञान की पूर्व अध्यक्ष डॉ. मृदुला श्रीवास्तव ने बताया है कि सोशल मीडिया के दौर में युवाओं के बीच सेल्फी की लत ड्रग एडिक्शन की तरह हो गई है। कुछ युवा व बच्चे पढ़ाई, खेल व अन्य गतिविधियों में...
पीजी मनोविज्ञान की पूर्व अध्यक्ष डॉ. मृदुला श्रीवास्तव ने बताया है कि सोशल मीडिया के दौर में युवाओं के बीच सेल्फी की लत ड्रग एडिक्शन की तरह हो गई है। कुछ युवा व बच्चे पढ़ाई, खेल व अन्य गतिविधियों में खुद को साबित करते हैं। लेकिन, कुछ खतरनाक सेल्फी लेते हैं। वे खुद के भीतर कुछ कमी मानते हैं। हिरोइज्म के चक्कर में पड़कर बच्चे कुछ ऐसा कर लेते हैं जो उनके लिए घातक साबित होता है। वे इस तरह की अपनी फोटो अथवा वीडियो डालकर अधिक से अधिक लाइक व रिस्पांस चाहते हैं। इसके माध्यम से वे कमी को दूर करना चाहते हैं। अपने को ज्यादा से ज्यादा दूसरों के बीच खुद को दिखाना चाहते हैं। खुद को बोल्ड दिखाकर वाहवाही लेने की कोशिश करते हैं। वैसे युवाओं को इसमें मजा आता है। बिना सोचे-समझे कुछ भी कर गुजरते हैं। मनोवैज्ञानिक ने बताया कि इसके लिए माता-पिता व अभिभावकों को सतर्क रहना चाहिए। बच्चे क्या कर रहे हैं, इंटरनेट का इस्तेमाल कितना और किस तरह से कर रहे हैं, इसकी मॉनिटरिंग होनी चाहिए। बच्चों का सही मार्गदर्शन करना चाहिए।