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तिब्बत की संस्कृति की रक्षा करना भारत कर्तव्य

तिब्बत की संस्कृति की रक्षा करना भारत का कर्तव्य है। चीन ने लद्दाख के अलावा अरुणाचल व सिक्किम में भी विवाद को बढ़ावा दिया है। ये बातें भारत तिब्बत मैत्री संघ की ओर से सोमवार को खबरा स्थित डॉ. हरेंद्र...

तिब्बत की संस्कृति की रक्षा करना भारत कर्तव्य
हिन्दुस्तान टीम,मुजफ्फरपुरMon, 06 Jul 2020 09:13 PM
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तिब्बत की संस्कृति की रक्षा करना भारत का कर्तव्य है। चीन ने लद्दाख के अलावा अरुणाचल व सिक्किम में भी विवाद को बढ़ावा दिया है। ये बातें भारत तिब्बत मैत्री संघ की ओर से सोमवार को खबरा स्थित डॉ. हरेंद्र कुमार के आवास पर आयोजित परम पावन दलाई लामा के 85वें जन्मदिवस पर संगोष्ठी में संगठन के बिहार चैप्टर के महासचिव सुरेंद्र कुमार ने कही। ‘लद्दाख में चीन के हरकत को मद्देनजर रखते हुए भारत सरकार की तिब्बत नीति में परिवर्तन विषय पर संगोष्ठी आयोजित थी। प्रो. अरुण कुमार सिंह ने कहा कि चीन अरुणाचल और लद्दाख को भी चीन का भूभाग मानता है। चीन में लगातार मानवाधिकार का हनन के मामले बढ़े हैं। भारत के अलावा कई देशों ने चीन के खिलाफ मोर्चेबंदी शुरू की है। उपाध्यक्ष डॉ. हरेन्द्र कुमार ने कहा कि भारत की दलाई लामा को भारत के संसद में संबोधित का अवसर दिया जाना चाहिए। साथ ही केंद्र सरकार उन्हें भारत रत्न की उपाधि दे। अध्यक्षता करते हुए प्रो. विकास नारायण उपाध्याय ने कहा कि हमलोग बड़े पैमाने पर चीन में बने सामानों का उपभोग करते हैं। इसका प्रतिकार मुश्किल हो रहा है। कार्यक्रम संयोजक प्रभात कुमार ने दलाई लामा को शांति का पुजारी बताया। धन्यवाद ज्ञापन विक्रम जयनारायण निषाद ने किया। मौके पर डॉ. अजीत कुमार, रंजन कुमार मिश्र, मुकेश चन्द्र झा, दिव्यांशु शेखर, अंकित आनंद, राधे श्याम सिंह, रंजीत कुमार, अतुल मिश्र, कृष्णा कुमार, दिव्यांशु सौरभ, सुनील कुमार व अनिल अनल समेत कई लोग थे।

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