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डिप्रेशन व मूड डिसऑर्डर के मरीजों की बढ़ रही संख्या

डिप्रेशन व मूड डिसऑर्डर के मरीजों की संख्या बढ़ रही है। हर रोज ऐसे चार नए मरीज चिह्नित किए जा रहे हैं। इन बीमारियों के होने का मुख्य कारण सामाजिक व आर्थिक स्थिति का सही से विकास नहीं करना है। अन्य...

डिप्रेशन व मूड डिसऑर्डर के मरीजों की बढ़ रही संख्या
हिन्दुस्तान टीम,मुजफ्फरपुरFri, 11 Oct 2019 03:14 PM
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डिप्रेशन व मूड डिसऑर्डर के मरीजों की संख्या बढ़ रही है। हर रोज ऐसे चार नए मरीज चिह्नित किए जा रहे हैं। इन बीमारियों के होने का मुख्य कारण सामाजिक व आर्थिक स्थिति का सही से विकास नहीं करना है। अन्य राज्यों की तुलना में बिहार व मणिपुर में इस तरह के मानसिक रोगियों की संख्या कम है।

खेती व सही से मजदूरी नहीं मिलने जैसे असुरक्षित मनोदशा के कारण यह बीमारी हो रही है। यह जानकारी गुरुवार को सदर अस्पताल में विश्व मानसिक दिवस पर डॉक्टरों ने मरीजों को दी। इस दौरान ओपीडी भवन में कार्यशाला के साथ एक दर्जन मरीजों की जांच की गई। वहीं राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के ओपीडी में इलाज के बाद स्वस्थ हो चुके पांच मरीजों को सम्मानित किया गया। ये सभी सिनेफ्रेजिया के मरीज थे। समारोह की शुरुआत सीएस डॉ. एसपी सिंह ने की। उन्होंने कहा कि समाज में मानसिक रोगियों के साथ भेदभाव करना उनके विकास में बाधक सबित हो रहा है। मानसिक बीमारियों से ग्रसित मरीजों के साथ भेदभाव नहीं करना चाहिए। बल्कि उनके साथ अच्छे से बातचीत करना चाहिए। घबराहट, नींद न आना, लंबे समय से सिरदर्द रहना, बेवजह शक करना, अपने आप से बातें करना, तरह-तरह की आवाज सुनाई देना मानसिक रोग के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं। ऐसा कोई भी लक्षण लगे तो तुरंत स्वास्थ केंद्र मे संपर्क करें। राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के मेडिकल अधिकारी डॉ. अमर कुमार झा ने कहा कि इस बार पूरे विश्व मानसिक दिवस का थीम आत्महत्या की रोकथाम है। फेडरेशन ऑफ वर्ल्ड मेंटल फेडरेशन ने 1992 में हर साल दस अक्टबूर को विश्व मानसिक दिवस मनाने का फैसला लिया। कार्यक्रम में एसीएमओ डॉ. हरेन्द्र आलोक, एनसीडीसी के नोडल अधिकारी डॉ. महादेव चौधरी, एकता कुमारी, नर्स हरिकिशोर यादव, इरफान मोहम्मद समेत कई उपस्थित थे।

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