ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News बिहार मुजफ्फरपुरबालिका गृह की सच्चाई पता होती तो नहीं जाने देते ‘दिल के टुकड़े’को

बालिका गृह की सच्चाई पता होती तो नहीं जाने देते ‘दिल के टुकड़े’को

‘अगर बालिका गृह की सच्चाई पहले जान गई होती तो ‘बिटियाको कभी भी वहां जाने नहीं देती। पता नहीं क्या हुआ होगा उस मासूम के साथ। मेडिकल कॉलेज की कई नर्सें आज बेहद भावुक अंदाज में बातें कर रही...

बालिका गृह की सच्चाई पता होती तो नहीं जाने देते ‘दिल के टुकड़े’को
संजीव कुमार,मुजफ्फरपुरTue, 07 Aug 2018 07:07 PM
ऐप पर पढ़ें

‘अगर बालिका गृह की सच्चाई पहले जान गई होती तो ‘बिटियाको कभी भी वहां जाने नहीं देती। पता नहीं क्या हुआ होगा उस मासूम के साथ। मेडिकल कॉलेज की कई नर्सें आज बेहद भावुक अंदाज में बातें कर रही थी। उसकी चंचलता और मासूमियत सबको बहुत याद आ रही थी।

दो साल पहले स्टेशन पर लगे एसक्लेटर में पैर कट जाने के कारण रेलवे पुलिस ने दस साल की एक बच्ची को मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराई थी। बाद में पुलिस ने उसकी कोई खोज-खबर नहीं ली। महीने भर के इलाज के बाद वह ठीक हो गई। नर्सों ने बताया कि वह बेजुबां थी मगर उसकी चंचलता सब कुछ बयां करती थी। धीरे-धीरे सबमें घुल-मिल गई। हर सिस्टर उसके लिए रोज कुछ न कुछ लाती। असामाजिक लोगों की बुरी नजर के कारण एक सिस्टर ने उसे अपने पास रख लिया। मगर फिर कानून आड़े आने लगा। स्थानीय पुलिस और मेडिकल प्रशासन ने उसे बालिका गृह भेजने का फैसला किया। नर्सों ने कहा कि इस फैसले से हमलोग बेहद दुखी हो गए थे। बालिका गृह से एक महिला आई थी। जाते वक्त सिस्टरों ने उस बिटिया से लिपटकर खूब रोई थी। मगर वह चली गई थी। अब जब बालिका गृह की घटना सामने आई है तो मन बहुत भारी हो गया है। सभी सिस्टरों को इस बात की चिंता सता रही है कि हमलोगों के दिल का टुकड़ा बन चुकी बिटिया के साथ तो कुछ गलत न हुआ हो। अब तो हमलोगों को उससे मिलने भी नहीं दिया जाएगा। सबने एक स्वर में कहा कि अब वहां की सच्चाई का थोड़ी सी भी जानकारी होती तो उसे किसी भी हाल में वहां जाने नहीं देती।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें