Hundreds of acres of crops are cropping up in a few hours चंद घंटों में चट कर रहे सैकड़ों एकड़ फसल, Muzaffarpur Hindi News - Hindustan
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चंद घंटों में चट कर रहे सैकड़ों एकड़ फसल

एक रात में सौ किलोमीटर तक का सफर तय करने वाली फॉल आर्मी वर्म ने किसानों के साथ कृषि विभाग की भी नींद उड़ा दी है। गायघाट में करीब पांच सौ एकड़ खेत में लगी मक्के की फसल चट करने के बाद इस कीट ने अब आसपास...

Newswrap हिन्दुस्तान, मुजफ्फरपुरTue, 3 Sep 2019 03:54 PM
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चंद घंटों में चट कर रहे सैकड़ों एकड़ फसल

एक रात में सौ किलोमीटर तक का सफर तय करने वाली फॉल आर्मी वर्म ने किसानों के साथ कृषि विभाग की भी नींद उड़ा दी है। गायघाट में करीब पांच सौ एकड़ खेत में लगी मक्के की फसल चट करने के बाद इस कीट ने अब आसपास के प्रखंड व जिलों का रूख कर लिया है। फसलों को चट करते हुए यह जिस रफ्तार से आगे बढ़ रहा है, उसने कृषि वैज्ञानिकों के होश उड़ा दिए हैं।

आनन-फानन में मुख्यालय स्तर पर गठित टीम ने गायघाट का दौरा तो किया है, लेकिन कीट को नियंत्रित करने की दिशा में ठोस निर्णय नहीं ले सके हैं। पौधा संरक्षण के संयुक्त निदेशक ने इस कीट के बारे में अधिकारियों को विस्तार से बताया है। कहा कि मादा फॉल आर्मी वर्म एक रात में अमूमन सौ किमी तक का सफर तय करती है।अपने जीवनकाल में 900 से 1500 तक अंडे देती है। उन्होंने राज्य के सभी कृषि अधिकारियों को चेतावनी दी है कि गायघाट में पांच सौ एकड़ फसल चट करने के बाद यह वर्म दूसरे प्रखंड व जिलों का रूख कर सकती है। इस वर्म का सहज शिकार मक्का, मिलेट, ज्वार, धान, गेहूं व गन्ना है। यह 80 प्रकार की फसलों को नष्ट करने की क्षमता रखती है। मुख्यालय में एक नियंत्रण कक्ष के साथ बनाई गई कमेटी में संयुक्त निदेशक, पौधा संरक्षण अध्यक्ष तो उपनिदेशक पौधा संरक्षण (सर्वे एवं आईपीएम) व सहायक निदेशक पौधा संरक्षण (जैविक नियंत्रण प्रयोगशाला) सदस्य बनाये गए हैं। सरकार ने इसके लिए पंचायत से लेकर राज्य स्तर तक कमेटी गठित करने की घोषणा की है। वर्म की गतिविधि व उससे हुए नुकसान पर नजर रखने के लिए माह में पांच बार समीक्षा की जाएगी। यह समीक्षा माह की 10, 15, 20, 25 व 30 तारीख को होगी।

फॉल आर्मी वर्म की शिकायत मुजफ्फरपुर, भागलपुर व वैशाली जिले में मिली है। जिस गति से कीटों की यह फौज बढ़ती है, इसका प्रसार और जिलों में भी हो सकता है। इससे बचाव के लिए किसानों को सुझाव दिए जा रहे हैं।

-देवनाथ प्रसाद, सहायक निदेशक, पौधा संरक्षण, पटना

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