तेज हवा के साथ तीन दिन झमाझम बारिश के आसार, चक्रवात का दिखेगा असर
मौसम विज्ञान विभाग ने मुजफ्फरपुर में अक्टूबर में सामान्य से अधिक बारिश की संभावना जताई है। अगले तीन दिनों में तेज हवा के साथ भारी बारिश का पूर्वानुमान है। तापमान में गिरावट आ सकती है।

मौसम विज्ञान विभाग ने इस साल अक्टूबर में सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना व्यक्त की है। साथ ही अगले तीन दिनों तक जिले में तेज हवा के साथ भारी बारिश होने का पूर्वानुमान जारी किया है। शुक्रवार को जारी पूर्वानुमान के अनुसार आगामी 10 अक्टूबर तक बारिश का दौर जारी रह सकता है। इस दौरान अधिकतम तापमान 30 से 32 डिग्री सेल्सियस तो न्यूनतम 24 से 26 डिग्री सेल्सियस के बीच रह सकता है। पूसा स्थित ग्रामीण मौसम विज्ञान केंद्र के वरीय वैज्ञानिक डॉ. ए. सत्तार ने बताया कि बंगाल की खाड़ी में चक्रवात सक्रिय होने के कारण उत्तर बिहार के जिलों में भारी से अति भारी बारिश होने के हालात बन रहे हैं।
इससे जहां जिले में अगले 72 घंटों में भारी बारिश हो सकती है जो आगामी 10 अक्टूबर तक जारी रह सकता है। बीते तीन दिनों में ही 130 मिमी बारिश दर्ज की गई है। इस महीने के शेष दिनों में और 300 एमएम बारिश हो सकती है। इधर, शुक्रवार को अधिकतम तापमान तीन डिग्री गिरकर 28.6 दर्ज किया गया, जो सामान्य से 3.8 डिग्री नीचे रहा। वहीं, न्यूनतम तापमान सामान्य से 1.1 डिग्री नीचे 23.9 डिग्री रिकॉर्ड हुआ।
अक्टूबर में होने वाली बारिश से जिले के भू जल स्तर में सुधार की उम्मीद जताई जा रही है। हालांकि, जून से सितंबर तक हुई औसत से काफी कम बारिश के बाद नवंबर के अंतिम और दिसंबर के पहले सप्ताह से ही जिले में जल संकट की आशंका विशेषज्ञ जता रहे थे। पीएचईडी के कार्यपालक अभियंता मुकेश कुमार का कहना है कि पिछले तीन साल से जिले में लगातार सामान्य से कम बारिश हो रही है। इस कारण पहले से ही भूगर्भ जलस्तर जिले में सामान्य से 10 से 15 फीट नीचे जा चुका है। इस साल भी मई से लेकर सितंबर महीने तक औसत से 46.92 फीसदी कम बारिश दर्ज की गई है।
इस साल मई से लेकर सितंबर तक औसत से कम बारिश हुई। इस कारण बीते पांच सालों में पहली बार ऐसा हुआ कि एक भी नदी खतरे के निशान को पार नहीं कर पाई। कम बारिश के कारण जिले से होकर बहनेवाली तीनों प्रमुख नदियां खतरे के निशान से काफी नीचे रहीं। बागमती दो मीटर, तो बूढ़ी गंडक छह मीटर तक लाल निशान से नीचे रही। गंडक नदी में भी इस साल खतरे के निशान से साढ़े तीन मीटर दूर रह गई, जबकि हर साल ये नदियां खतरे के निशान को पार करती रही हैं।
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