नवंबर 2016 में नोटबंदी लागू होने के बाद मुजफ्फरपुर के व्यवसायी राजकुमार गोयनका व अशोक कुमार गोयनका ने दो निजी बैंक के चार खाते से 13 करोड़ का लेनदेन किया था। खाता अपने फर्म के कर्मचारी कुणाल कुमार के नाम पर खोला था। इसकी जानकारी कुणाल को नहीं दी थी। फिलहाल राजकुमार गोयनका ईडी की गिरफ्त में है, जबकि अशोक कुमार गोयनका अंडरग्राउंड है।
इधर, इस केस की जांच आर्थिक अपराध इकाई कर रही है। करीब 21 महीन से अधिक से जांच जारी है। छह फरवरी 2019 को सीआईडी कंट्रोल ने इस केस का चार्ज मिठनपुरा पुलिस से लिया था। इसबीच प्रवर्तन निदेशालय ने भी केस दर्ज कर जांच शुरू की। इस दौरान राजकुमार गोयनका को कोलकता से बुधवार को दबोच लिया। इससे पहले पुलिस को जांच के दौरान विशेष अहम सुराग हाथ नहीं लग सका। जांच की रफ्तार भी धीमी रही। आधा दर्जन आईओ भी बदले। कई ने तो दैनिकी भी सही तरीके से नहीं लिखा। उन्होंने सिर्फ केस का चार्ज लिया और दूसरों को दिया।
बता दें कि 22 दिसंबर 2016 को मिठनपुरा थाने में राजकुमार गोयनका और इनके भाई अशोक कुमार गोयनका के खिलाफ कर्मचारी कुणाल के बयान पर केस दर्ज किया गया था। इससे पहले आयकर विभाग ने इनके प्रतिष्ठान पर छापेमारी की थी और 13 करोड़ लेनदेन की जांच की थी।
पत्नी ने तत्कालीन एसएसपी को सौंपा था आवेदन :
आयकर की छापेमारी व कर्मचारी कुणाल के बयान पर मिठनपुरा थाने में केस दर्ज होने के बाद राजकुमार गोयनका की पत्नी कांता गोयनका ने तत्कालीन एसएसपी विवेक कुमार को आठ मार्च 2017 को आवेदन सौंपा था। उनसे गुहार लगायी थी कि उनके पति के खिलाफ साजिशन मिठनपुरा थाने में केस दर्ज कराई गई है। इसमें दावा किया था कि दोनों बैंक में संचालित हो रहे चारों खातों से उनके पति और देवर का कोई वास्ता नहीं है। कुणाल ने किसके इशारे पर केस किया है, इसकी जांच होनी चाहिए। आवेदन की जांच नहीं हो सकी है।