शिक्षकों की हड़ताल की वजह से सोमवार को जिले के तीन हजार से अधिक स्कूलों में ताला लटका रहा। साथ-साथ छह लाख बच्चों का मध्याह्न भोजन भी बंद रहा। शहर से लेकर गांव तक अधिकांश स्कूलों में ताला लटका रहा। शिक्षकों की हड़ताल ने प्राइमरी और मिडिल स्कूल को नहीं खुलने दी। स्कूलों में तालाबंदी के साथ बीआरसी में भी शिक्षकों ने ताला जड़ दिया। हालांकि हड़ताल को लेकर दो गुट में शिक्षक बंटे रहे।
हालांकि कई जगहों पर शिक्षकों के हड़ताल पर रहने और न भी रहने का खेल चलता रहा। इसे लेकर संघ का विरोध सामने आया। बिहार राज्य शिक्षक संघर्ष समन्वय समिति के बैनर तले नियोजित शिक्षकों ने अपनी अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू की है। समिति के संयोजक रघुवंश प्रसाद सिंह, घटक संघ के पवन कुमार, जीतन सहनी, हिमांशु शेखर, श्रीकांत राय, जितेन्द्र कुमार यादव, अखिलेश कुमार सिंह, मृत्युजंय कुमार, नागेन्द्र राय, विवेक कुमार समेत अन्य शिक्षक नेताओं ने कहा कि सरकार की संवेदनहीनता, शिक्षा और शिक्षक विरोधी सोच का परिणाम है कि आज राज्य के चार लाख से अधिक शिक्षक हड़ताल पर जाने को मजबूर हैं। सरकारी स्कूल के बच्चों की पढ़ाई के प्रति सरकार गंभीर नहीं
शिक्षक नेता भूपनारायण पांडेय, राजीव रंजन, संजय तिवारी, भुवनेश्वर मिश्र, पकंज कुमार, पवन कुमार प्रतापी आदि शिक्षकों ने कहा कि हाईकोर्ट ने निर्णय दिया, मगर सरकार साजिश के तहत इसे सुप्रीम कोर्ट ले गई और बदलवाने में सफल हो गई। इस हड़ताल से अगर आंख नहीं खुली तो यह साबित करता है कि सरकारी स्कूल के बच्चों की पढ़ाई के प्रति सरकार लापरवाह है।