भक्तों की रक्षा व दुष्टों के संहार को धरती पर आते हैं भगवान
सत्यानारायण अतिथि भवन में आयोजित भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के चौथे दिन कथावाचक स्वामी शशिधराचार्य ने प्रसंग को आगे बढ़ाते हुए कहा कि जब-जब धरती पर विपति आती है उस दौरान भगवान मनुष्य रुप में प्रकट होते है...
सत्यानारायण अतिथि भवन में चल रहे भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के चौथे दिन शुक्रवार को कथावाचक स्वामी शशिधराचार्य ने प्रसंग को आगे बढ़ाते हुए कहा कि जब-जब धरती पर विपत्ति आती है तब तब भगवान मनुष्य के रूप में प्रकट होते है। भगवान मनुष्य रूप में आकर अपने भक्तों की रक्षा व दुष्टों के संहार करते है। भगवान धर्म की स्थापना कर उस मार्ग पर चलने के लिए भक्तों को प्रेरित करते है। सतयुग, द्वापर व त्रेता में भगवान भक्तों के मनोरथ को पूर्ण करने के लिए कई अवतार लिए।
प्रसंग को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि संसार में जो भी आता है उसे कष्ट सहना पड़ता है चाहे वह राम बनकर आये हो या कृष्ण बनकर। भगवान कृष्ण का जन्म कारागार में हुआ और उनका पालन गोकुल में हुआ। वहां भी देवताओं की उन्होंने रक्षा की। भगवान ने मानव धर्म की रक्षा के लिए रामावतार लिया। इसमें उन्होंने गृहस्थ जन्म को सर्वश्रेष्ठ बताया। कथा से पूर्व भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया। मौके पर शशीला देवी, नटवर शर्मा, अरुण शर्मा, रतन शर्मा, रामदुलारी शर्मा, राजेश्वरी, रेखा, जगदीश प्रसाद, नंदलाल शर्मा भी थे।