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बच्चों का नामांकन तय करेगा अतिथि शिक्षकों का भविष्य

प्लस 2 स्कूल में बच्चों का नामांकन अतिथि शिक्षकों का भविष्य तय करेगा। छह महीने की मशक्कत के बाद बहाल हुए ये शिक्षक अब तक स्कूलों में अतिथि ही हैं। बिना बच्चों वाले स्कूल में भेजे गए इन शिक्षकों के...

बच्चों का नामांकन तय करेगा अतिथि शिक्षकों का भविष्य
हिन्दुस्तान टीम,मुजफ्फरपुरMon, 03 Sep 2018 05:05 PM
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प्लस 2 स्कूल में बच्चों का नामांकन अतिथि शिक्षकों का भविष्य तय करेगा। छह महीने की मशक्कत के बाद बहाल हुए ये शिक्षक अब तक स्कूलों में अतिथि ही हैं। बिना बच्चों वाले स्कूल में भेजे गए इन शिक्षकों के सामने वेतन ही नहीं नौकरी का भी संकट है। जिले में प्लस 2 स्कूलों में अतिथि शिक्षकों की बहाली एक महीने पहले की गई। साइंस समेत छह विषयों में बहाल इन शिक्षकों को बच्चों को पढ़ाने के आधार पर वेतन मिलना है। प्लस 2 के बच्चों को ही इन अतिथि शिक्षकों को पढ़ाना है। एक दिन का इनका मानदेय एक हजार रुपये होगा।

जिले में 154 सीटों पर बहाली होनी थी। इसमें 103 शिक्षकों का योगदान कराया गया। इन शिक्षकों को जो स्कूल आवंटित किए गए, उसमें कई तरह की गड़बड़ी है। ये शिक्षक अधिकांश ऐसे स्कूल में भेजे गए हैं जहां प्लस 2 में बच्चे हैं ही नहीं। जहां बच्चे हैं वहां शिक्षक भेजे ही नहीं गए हैं। बिना बच्चों वाले स्कूल में किसे पढ़ाएं, इसे लेकर वे डीईओ कार्यालय से डीएम कार्यालय तक का चक्कर काट रहे हैं।

29 दिन नौकरी करने पर भी वेतन जीरो : उवि सेरूकाही में साइंस में बच्चे नहीं हैं लेकिन यहां साइंस शिक्षक भेजे गये हैं। उवि टेंगरारी में इंग्लिश, मैथ्स और केमेस्ट्री तीन विषयों में शिक्षक दिए गए हैं।

जबकि यहां प्लस 2 में बच्चे नामांकित ही नहीं हैं। कमतौल हाईस्कूल में मैथ्स के लिए शिक्षक दिए गए जबकि यहां बच्चे हैं ही नहीं। कई ऐसे स्कूल भी हैं जहां बच्चे तो हैं मगर शिक्षक नहीं दिए गए। वैद्यनाथपुर हाईस्कूल में प्लस 2 में 700 से अधिक बच्चे हैं। पांच रिक्तियां थी। यहां तीन शिक्षक ही दिए गए। इसमें भी मैथ्स के एक भी शिक्षक नहीं मिले। रेवा हाईस्कूल में तीन रिक्तियां थीं मगर एक भी शिक्षक नहीं मिले। अधिकारियों की मनमाने पदस्थापन का खामियाजा यह कि 29 दिनों की कार्यअवधि के बाद भी इन शिक्षकों का वेतन जीरो हैं। शिक्षकों ने इस संबंध में डीएम से गुहार लगाई है।

डीईओ ललन प्रसाद सिंह कहते हैं कि अभी इंटर में नामांकन चल रहा है। बच्चे स्कूल में नामांकन लेंगे, उसके बाद ये शिक्षक पढ़ा सकेंगे।

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