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बाढ़ : चार फीट पानी में मोहनपुर से बकुची-अल्दामा तक लुट गए किसान

बकुची के अवधेश सहित सैकड़ों किसानों के लिए बुधवार की सुबह मनहूस खबर लेकर आयी। बागमती नदी में चार फीट पानी बढ़ने से उनके खेतों में पानी प्रवेश कर गया। परिवार के सभी सदस्य टोकरी लेकर अपने-अपने खेतों की...

बाढ़ : चार फीट पानी में मोहनपुर से बकुची-अल्दामा तक लुट गए किसान
मुजफ्फरपुर। विभेष त्रिवेदीThu, 18 Jun 2020 10:30 AM
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बकुची के अवधेश सहित सैकड़ों किसानों के लिए बुधवार की सुबह मनहूस खबर लेकर आयी। बागमती नदी में चार फीट पानी बढ़ने से उनके खेतों में पानी प्रवेश कर गया। परिवार के सभी सदस्य टोकरी लेकर अपने-अपने खेतों की ओर भागे। कल तक परवल, कद्दू, करैला के खेतों में हरी सब्जियां तोड़ते थे। आज सैकड़ों लोग सब्जी छानने में जद्दोजेहद करते रहे। ‘सब्जी छानने’ का अभिप्राय पूछने पर योगेंद्र महतो ने स्पष्ट बताया, नदी की धारा में बह रही परवल, करैला व कद्दू की लताओं को पकड़ कर उनमें से सब्जियों को अंतिम बार तोड़ी गई। अवधेश की 10 कट्ठा जमीन में परवल, 11 कट्ठा में कद्दू, सात कट्ठा में कद्दू की फसलें डूब गयीं। कल तक रोजाना दो क्विंटल परवल बेचते थे। रोजाना हजारों रुपये की हरी सब्जी बेचने वाले अवधेश मायूस हैं।
बकुची के शिवालक भगत रोजाना साढ़े आठ हजार रुपये की सब्जी बेचते थे। तीन बीघा परवल, एक बीघा करैला, 10 कट्ठा में कद्दू  और 18 कट्ठा में भिंडी की फसलें डूब गईं। एक कट्ठा ऊंची जमीन पर परवल बचा है। एक फीट पानी बढ़ा तो वह भी डूब जाएगा। श्याम किशोर महतो और उनकी पत्नी कैलाश देवी उदास हैं। जिसकी आशंका थी, वही बात हुई। सुबह से 15 कट्ठा में परवल, तीन कट्ठा में कद्दू, पांच कट्ठा में भिंडी व तीन कट्ठा में घिउरा छानने में व्यस्त रहे। अब जल स्तर बढ़ा तो बचे हुए खेत भी डूब जाएंगे। यही हाल बकुची के सुरेंद्र भगत, अजय भगत, बिंदू भगत, शंभू भगत, मेहदी हसन, मो. हबीब, मुस्तकिम और उपेन्द्र का भी है। बकुची में करीब 20 बीघा में हरी सब्जियों की लहलहाती फसलें डूबी हैं।

मोहनपुर से पतांरी तक आफत
अभी बाढ़ नहीं आयी है। चार फीट जलस्तर बढ़ने से ही बागमती के दोनों तटबंधों के बीच मोहनपुर, बकुची, बसघट्टा, पतांरी, अल्दामा,नवादा, अक्तियारपुर समेत कई गांवों में फसलें बर्बाद हो गयी हैं। इन गांवों में सैकड़ों किसान रोजाना लाखों रुपये की हरी सब्जी बेच रहे थे। अगले चार महीने किसान और मजदूर मायूस बैठेंगे। इनका कटरा प्रखंड मुख्यालय से संपर्क टूट गया है। अब दोनों तटबंधों पर, बकुची कॉलेज की छत पर और दूसरे ऊंचे स्थानों पर मवेशियों को ले जाने की तैयारी चल रही है।

मुआवजा मिलता को बाहर घर बनाते
मायूस श्याम किशोर महतो हर साल की बाढ़ से उब चुके हैं। बागमती के दोनों तटबंधों के बीच फंसे मोहनपुर, बसघट्टा, बकुची के सैकड़ों लोगों को पिछले दस वर्षों से मुआवजा और पुनर्वास का इंतजार है। श्याम किशोर बताते हैं कि हर साल बाढ़ आने पर पुनर्वास की बात होती है और बाढ़ के बाद फाइल फंस जाती है। सरकार मुआवजा के पैसे देती तो तटबंध के बाहर किसी गांव में जमीन खरीदकर घर बनाते। अब सैकड़ों परिवार चार महीने के लिए तटबंध पर झोपड़ी खड़ी करेंगे और बाढ़ के बाद गांव में क्षतिग्रस्त घर की मरम्मत करने पहुंच जाएंगे।

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