नौवीं और 11वीं में सीधे स्कूल बदलना नहीं होगा आसान, बताना होगा ठोस कारण
कक्षा 9वीं और 11वीं में नामांकन कराना सामान्य प्रक्रिया है। छात्र-छात्राएं 8वीं और 10वीं कक्षा के बाद स्कूल बदलते हैं। स्कूल बदलने की यह प्रक्रिया छात्र-छात्रा व अभिभावक कई कारणों से अपना सकते हैं।...
कक्षा 9वीं और 11वीं में नामांकन कराना सामान्य प्रक्रिया है। छात्र-छात्राएं 8वीं और 10वीं कक्षा के बाद स्कूल बदलते हैं। स्कूल बदलने की यह प्रक्रिया छात्र-छात्रा व अभिभावक कई कारणों से अपना सकते हैं। मगर अब इन कक्षाओं में स्कूल बदल नामांकन कराना आसान नहीं है। सीबीएसई ने कक्षाओं में दाखिले को लेकर नया निर्देश जारी किया है। इसे बोर्ड ने स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर (एसओपी) नाम दिया है।
यह है एसओपी, दाखिला प्रक्रिया पर इस तरह होगा असर
सीबीएसई संगठन के पीआरओ सतीश कुमार ने बताया कि 9वीं और 11वीं में पढ़ते हुए अलग-अलग कारणों को आधार बनाकर छात्र स्कूल बदलते हैं। कई बार देखा गया है कि शैक्षणिक सत्र के अंत में भी छात्र स्कूल बदलने का आग्रह करते हैं। इससे उनकी पढ़ाई और परीक्षा में प्रदर्शन पर असर पड़ता है। क्योंकि थोड़े समय में वे नए साथी और शिक्षक के साथ घुल-मिल नहीं पाते। इसलिए बोर्ड ने एसओपी बनाया है। इस एसओपी में अलग-अलग श्रेणियां बनाई गई हैं। श्रेणियों में स्कूल बदलने के अलग-अलग कारणों को बांटा गया है। स्कूल बदलने के कारणों की कुल 11 श्रेणियां बनाई गई हैं। फिर हर श्रेणी के तहत स्कूल बदलने के लिए जरूरी प्रक्रियाएं बताई गई हैं, जिन्हें पूरा करना अनिवार्य है। इसके बिना छात्र स्कूल नहीं बदल पाएंगे।
इन कारणों के साथ बदल पाएंगे स्कूल
अगर संबंधित स्कूल में आठवीं और 10वीं तक ही पढ़ाई होती है।
अगर संबंधित स्कूल में छात्रों का कोर्स या संबंधित विषय नहीं है।
अगर छात्र के अभिभावक का ट्रांसफर हो गया है।
अगर छात्र के पास मेडकिल कारण समेत अन्य बिन्दु हैं।