कल-कारखाने व पंडालों में देव शिल्पी की होगी आराधना
देव शिल्पी विश्वकर्मा की जयंती मंगलवार को शहर से गांव तक हर्षोल्लास के साथ मनाई जाएगी। मंदिरों, औद्योगिक प्रतिष्ठानों, लोहे की दुकान, वाहन शोरूम आदि में विश्वकर्मा भगवान की पूजा-अर्चना की...
देव शिल्पी विश्वकर्मा की जयंती मंगलवार को शहर से गांव तक हर्षोल्लास के साथ मनाई जाएगी। मंदिरों, औद्योगिक प्रतिष्ठानों, लोहे की दुकान, वाहन शोरूम आदि में विश्वकर्मा भगवान की पूजा-अर्चना की जाएगी। जगह-जगह पंडालों में भी देवशिल्पी की प्रतिमा प्रतिस्थापित कर आराधना की जाएगी। घर पर विश्वकर्मा भगवान की तस्वीर, छोटी मूर्ति व वाहनों का पूजन किया जाएगा। नये वाहन खरीदने के बाद मंदिरों में पूजा-अर्चना कराने के लिए भी लोगों की भीड़ उमड़ेगी। लोग मेला का भी आनंद लेंगे। इसको लेकर सोमवार को प्रतिमा को अंतिम रूप दिया गया। पंडाल के अंदर मंडप की सजावट देर रात तक चलती रही। नये वाहन की बुकिंग होती रही। गरीबनाथ मंदिर के प्रधान पुजारी पं. विनय पाठक ने महावीर पंचांग का हवाला देते हुए बताया कि सुबह से शाम तक श्रद्धालु पूजा कर सकेंगे। पं. प्रभात मिश्र ने बताया कि भगवान विश्वकर्मा ने सत्ययुग में स्वर्गलोक, त्रेता युग में लंका, द्वापरयुग में द्वारका और कलियुग के आरंभ के 50 वर्ष पूर्व हस्तिनापुर और इन्द्रप्रस्थ का निर्माण किया। जगन्नाथपुरी के जगन्नाथ मंदिर की विशाल मूर्तियों (कृष्ण, सुभद्रा और बलराम) का निर्माण भी विश्वकर्मा जी ने ही किया था।