72 घंटे की जगह 72 दिनों तक पड़ी रहतीं लाशें
72 घंटे की जगह 72 दिनों में भी लावारिस लाशों की अंत्येष्टि नहीं की जाती है। पोस्टमार्टम के बाद मेडिकल कॉलेज पुलिस को पत्र लिखकर थक जाता है मगर लाश लेने कोई नहीं पहुंचता है। पुलिस फंड नहीं होने की बात...
72 घंटे की जगह 72 दिनों में भी लावारिस लाशों की अंत्येष्टि नहीं की जाती है। पोस्टमार्टम के बाद मेडिकल कॉलेज पुलिस को पत्र लिखकर थक जाता है मगर लाश लेने कोई नहीं पहुंचता है। पुलिस फंड नहीं होने की बात करती है जबकि प्रशासन कहता है कि फंड की कोई दिक्क्त नहीं है। अब जब मेडिकल कॉलेज में कंकाल पर कोहराम मचा है। मामला मुजफ्फरपुर होते हुए पटना और दिल्ली पहुंच गया है। इधर, डीएम और एसएसपी कह रहे हैं जांच होने दीजिए। सब खुलासा हो जाएगा।
मुख्यमंत्री के दौरे के पहले 17 जून को आनन-फानन में मेडिकल कॉलेज परिसर में ही डेढ़ दर्जन लाशें अधकचरे तरीके से जला दी गई। पोस्टमार्टम हाउस में अभी भी लगभग इतनी ही लाशें पड़ी हुई है। इस पर बवाल मचा हुआ है। मामले की तहकीकात में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। गर्दन फंसती देख अब हर कोई एक दूसरे पर आरोप मढ़ता दिख रहा है। पुलिस के ही दो अधिकारी देा तरह की बातें कर रहे हैं।
मेडिकल प्रबंधन पर पुलिस पर और पुलिस कभी मेडिकल प्रबंधन पर तो कभी व्यवस्था को दोषी बता रही है। एफएमटी के प्रभारी ने कहा वे लगातार पुलिस को लाश ले जाने को कह रहे हैं वहीं अहियापुर थाना प्रभारी ने कहा उनके कहने के तुरंत बाद लाश लाकर अंत्येष्टि कर दी जाती है। ये सभी लाशें फरवरी से लेकर मई तक की हैं। चार महीने से भी अधिक।
नियमानुसार 72 घंटे में पोस्टमार्टम के बाद लावारिस लाश की अंत्येष्टि की जानी है। मगर यहां महीनों लाशें सड़ती-गलती रहती हैं। पुलिस का दायित्व है कि लावारिस लाशों को 72 घंटे तक पोस्टमार्टम हाउस में सुरक्षित रखकर पहचान कराए, लेकिन इस मामले में पुलिस लापरवाही बरतती रही है।
अफसरों के अलग-अलग बोल
जांच के बाद होगा खुलासा
जांच के बाद ही मामले का खुलासा हो सकेगा। यह तो तय है कि नियम का पालन नहीं हुआ है। फंड की व्यवस्था करने की जिम्मेदारी मेडिकल कॉलेज के प्रबंधन की है।
आलोक रंजन घोष, डीएम
विलंब हुआ पर होगी कार्रवाई
पहले ही निर्देशित किया जा चुका है कि 72 घंटे में लावारिस लाश का अंतिम संस्कार करना है। इस मामले में जांच के बाद लापरवाही बतरने वाले पुलिस पदाधिकारियों पर कार्रवाई हेागी।
मनोज कुमार, एसएसपी
नहीं देते समय से सूचना
कोई विलंब नहीं हुआ है। मेडिकल कॉलेज प्रबंधन जब फोन किया है,तुरंत लाश लाकर उसका अंतिम संस्कार किया गया है। दस्तावोज इसका गवाह है। कोई जांच कर सकता है।
सोना प्रसाद सिंह, अहियापुर थानेदार
नहीं सुनती पुलिस
खुद 72 घंटे बाद पुलिस को आकर लाश ले जानी होती है। मगर कभी नहीं आती है। परेशान होकर 18 मई को डेढ़ दर्जन लाशें ले जाने को कहा। तब जाकर जून में ले गई।
डॉ. विपिन कुमार,
हेड, एफएमटी विभाग,एसकेएमसीएच