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साथियों की मौत के बाद भी नहीं खोया हिम्मत

कोरोना से पांच सीनियर व जूनियर साथियों को खोने के बाद मैं काफी डर गया था। लेकिन, हिम्मत नहीं खोया। 14 अप्रैल को एक साथी के संपर्क में आने के बाद...

साथियों की मौत के बाद भी नहीं खोया हिम्मत
हिन्दुस्तान टीम,मुजफ्फरपुरThu, 13 May 2021 05:41 PM
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मुजफ्फरपुर। कार्यालय संवाददाता

कोरोना से पांच सीनियर व जूनियर साथियों को खोने के बाद मैं काफी डर गया था। लेकिन, हिम्मत नहीं खोया। 14 अप्रैल को एक साथी के संपर्क में आने के बाद परेशानी बढ़ने लगी। 16 अप्रैल की एंटीजन जांच में रिपोर्ट निगेटिव आयी। लेकिन, बुखार बढ़ता जा रहा था। अपनी पीड़ा साझा करते हुए स्थानीय सिविल कोर्ट के न्यायिक अधिकारी आफताब आलम बताते हैं कि रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद कई डॉक्टरों ने इलाज से हाथ खड़ा कर दिया। इसके बाद मुझे पटना जाना पड़ा। वहां पर फिजिशियन डॉ. एके सिन्हा से मिला। उनके सुझाव पर कुछ दवाइयां लीं। लेकिन, बुखार से राहत नहीं मिली। 22 अप्रैल को फेफड़े का सीटी स्कैन कराया। इसमें माइल्ड इंफेक्शन का पता चला। इसके बाद कोरोना का इलाज शुरू हो पाया। 25 अप्रैल को दोबारा से एंटीजन और आरटीपीसीआर जांच करायी। एंटीजन रिपोर्ट निगेटिव व आरटीपीसीआर पॉजिटिव रही। मैं होम आइसोलेशन में 21 दिन रहा। इस दौरान कई निराश करने वाली खबरें मिलीं। पांच सीनियर व जूनियर साथियों की मौत की खबरें से तनाव में आ गया। लेकिन, मैं हिम्मत नहीं खोया। कोविड 19 से मेरी लड़ाई जारी थी। होम आइसोलेशन में परिवार का साथ मिला। सबसे बड़े भाई व पत्नी ने इलाज में मदद की। पेशे से चिकित्सक पत्नी सूई देने से लेकर बीपी जांच आदि कार्य तक करती थीं। रमजान भी चल रहा था। मां ऊपर वाले से दुआ करती थी। परिवार के सहयोग व दुआ से आज मैं बिल्कुल स्वस्थ हूं।

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