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आओ राजनीति करें, अब नारी की बारी : वोट बेचा तो पांच साल पछताने के सिवाए कुछ नहीं मिलेगा

जनता हाशिये पर खड़ी है और नेता खुद के अलावा कुछ सोचने को तैयार नहीं हैं। ऐसी स्थिति में जनता ने अगर अपना वोट बेचा तो देश पांच वर्षों तक ऐसे लोगों के पास गिरवी पड़ जायेगा जो हमारी समस्यों व मुद्दों की...

आओ राजनीति करें, अब नारी की बारी : वोट बेचा तो पांच साल पछताने के सिवाए कुछ नहीं मिलेगा
हिन्दुस्तान टीम,मुजफ्फरपुरWed, 17 Apr 2019 03:51 PM
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जनता हाशिये पर खड़ी है और नेता खुद के अलावा कुछ सोचने को तैयार नहीं हैं। ऐसी स्थिति में जनता ने अगर अपना वोट बेचा तो देश पांच वर्षों तक ऐसे लोगों के पास गिरवी पड़ जायेगा जो हमारी समस्यों व मुद्दों की नहीं सिर्फ अपनी समृद्धि की ही सोचेंगे। हम पार्टी को चुने या व्यक्ति को इस उलझन को सुलझाने के लिए मंगलवार को मड़वन प्रखंड के शुभंकरपुर गांव स्थित पंचायत भवन परिसर में ‘हिन्दुस्तान के आओ राजनीति करें अब नारी की बारी अभियान के तहत अयोजित संवाद कार्यक्रम में स्थानीय लोगों ने बेबाकी से राय रखी।

इस दौरान पूर्व मुखिया राधेश्याम विजेता ने कहा कि आजादी के 72 साल बाद भी हम अपने वोट की अहमियत को नहीं समझ सके हैं। अभी भी भावना में बहाकर हम जाति, धर्म और निहित स्वार्थ के लालच में अपने वोट का सौदा कर लेते हैं। वोट की खरीद-बिक्री लगातार बढ़ती जा रही है। लोकतंत्र पर धनबल इस तरह हावी है कि आम आदमी चुनाव में खड़े होने की हिम्मत तक नहीं जुटा पा रहा है। महंत मृत्युजंय दास ने कहा कि नारी ने हमेशा समाज को नई दिशा दी है। ‘हिन्दुस्तान ने इस अभियान के माध्यम से लोगों को खास कर महिलाओं को जागरूक करने का काम किया है। इससे हमारा लोकतंत्र सुदृढ़ होगा।

सामाजिक कार्यकर्ता हरेंद्र कुमार वर्मा ने कहा कि वैशाली संसदीय क्षेत्र जिसे जनतंत्र की जननी भी कहा जाता है। वह अब भी विकास को तरस रही है। विश्वविद्यालय के पूर्व अधिकारी रहे भुवनेश्वर प्रसाद ने कहा कि शिक्षा और स्वास्थ्य की जरूरत को पूरा करने के लिए हम निजी स्कूल-कॉलेज व अस्पताल पर आश्रित होते जा रहे हैं। नीरज कुमार ने कहा कि यहां पीएचसी है, लेकिन डॉक्टर कभी नहीं रहते। पंच राजू ठाकुर ने कहा कि हमारे गांव के पोखर में छठ घाट के निर्माण की योजना लंबित है। यहां लड़कियों के लिए एक हाई स्कूल की जरूरत है। सड़क की मरम्मत तक नहीं हो रही। पूर्व सैनिक सुरेंद्र ठाकुर ने कहा कि सारे नेता मतलबी होते हैं, वोट लेने के बाद जनता को भूल जाते हैं। ग्रामीणों ने लोगों को वोट गिराने के लिए प्रेरित करने का संकल्प लिया।

महिला से वोट की बात तो खूब हो रही है, लेकिन उन्हें टिकट देने के नाम पर सारी पार्टियां कंजूस हो जाती हैं। नगर व पंचायत निकाय की तहर महिलाओं को संसद व विधानमंडल में भी मिला आरक्षण मिलना चाहिए।

-इंदू देवी, सरपंच

महिलाएं भी अब राजनीति में बढ़चढ़कर हिस्सा ले रही हैं। इसके बावजूद महिलाओं को राजनीतिक में और सशक्त करने की जरूरत है। इससे वह खुद अपने अधिकार और कर्तव्य के प्रति सजग हो सकें।

-अनिल कुमार, उप मुखिया

महिलाएं शिक्षित होंगे तभी सुदृढ़ होंगी। राजनीति में बेहतर काम करने के लिए उनका शिक्षित होना बेहद जरूरी है। बिना शिक्षा के वह अपने अधिकार व कर्तव्य के प्रति जागरूक नहीं हो सकती हैं।

-अखिलेश कुमार, सामाजिक कार्यकर्ता

पार्टी को चुना जाए या व्यक्ति को यह उलझन बना हुआ है। कौन नेता हमारे भविष्य के लिए कल कारखाना खोलेगा। रोजी-रोजगार का इंतजाम करेगा। यह बात हमारे समझ में नहीं आ ही है। असमंजस में जनता है।

-जितेंद्र कुमार, दुकानदार

‘हिन्दुस्तान का यह अभियान बेहद सराहनीय है। इस संवाद के बहाने क्षेत्र के लोगों की बातें अखबार में आ रही हैं। इससे महिलाओं का सशक्तीकरण हो रहा है। वह अपने मन से वोट करे यह भी जरूरी है।

-किशुन पासवान, पूर्व मुखिया

चुनाव में सभी उम्मीदवार इलाके की समस्याओं के निदान का भरोसा दिलाते हैं। चुनाव जीतने के बाद जनता का उनके पास जाते-जाते चप्पल घिस जाता है। हर बार आश्वासन से आगे बात नहीं बढ़ता है।

-द्वारिका साह, पूर्व उप प्रमुख मड़वन

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